Breaking News

शाबास :कोरोना के खिलाफ ‘जंग’ में भूखे लोगों को खाना खिला रहे मिट्टी कैफे के ‘दिव्‍यांग योद्धा’

@शब्द दूत ब्यूरो

मुंबई। मन में चाहत और जज़्बा हो तो कोई मजबूरी आपकी राह कांटा नहीं बन सकती। कुछ ऐसा ही साबित कर रहे हैं दिव्यांग ‘योद्धा’ जो खुद भले ही शारीरिक या मानसिक तकलीफ से गुज़र रहे हों लेकिन कोरोना वायरस की महामारी के बीच बेबस, भूखे लोगों और मज़दूरों के लिए सहारा बनकर उनका पेट भर रहे हैं। शारीरिक और मानसिक रूप से लाचार इन योद्धाओं का हौसला दिल को छूने वाला है। मिट्टी कैफे में काम करने वाले ज़्यादातर कर्मचारी दिव्यांग हैं लेकिन ऐसे कठिन समय में भी अपने स्वाभिमान को बनाये रखने के लिए ये लॉकडाउन में भी काम कर रहे हैं और बेघर-बेबस लोगों को खाना बनाकर खिला रहे हैं।

इन कर्मचारियों में से एक हैं लक्ष्‍मी जो बोल-सुन नहीं सकतीं। दो बच्‍चों की मां लक्ष्‍मी ने आपदा के इस वक्‍त में भूखे लोगों को खाना खिलाने पर खुशी इशारों के जरिये बयां की। इशारों के जरिये अपनी भावना व्‍यक्‍त करते हुए उन्‍होंने कहा, ‘हमलोग ज़रूरतमंदों की मदद कर रहे हैं. ये सभी हमारे लोग हैं। हम इन्हें प्यार करते हैं। हम एक साथ मज़बूती से खड़े हैं।’ कर्मचारियों की इस टीम में 32 साल की गौरी भी हैं जो देख नहीं सकतीं लेकिन इसके बावजूद वे लोगों की मदद करने में पीछे नहीं हैं। इनके एक और साथी हैं मूर्ति जो हादसे में अपना एक हाथ गंवा चुके हैं। कीर्ति काले जैसे लोग भी हैं जो घर परिवार छोड़कर बेबसों के लिए काम कर रहे हैं। टीम में कुछ नेत्रहीन भी हैं जो प्‍याज और आलू छीलने जैसा काम कर रहे हैं।

लक्ष्‍मी, गौरी और मूर्ति जैसे यहां सौ से ज़्यादा दिव्यांग दिन-रात मज़दूरों और ज़रूरतमंदों के लिए खाना बनाने में जुटे हैं। इन दिव्‍यांगों का समर्पणभाव देखकर हर कोई इनके आगे नतमस्‍तक हो जाता है। मिट्टी कैफे की फाउंडर और सीइओ, 26 वर्षीय अलीना आलम बताती हैं कि अब तक इन ‘योद्धाओं’ ने करीब ढाई लाख लोगों तक खाना पहुंचाया है। लॉकडाउन में अब तक मिट्टी कैफे जैसी संस्था ने भूखों-जरूरतमंदों को खाना उपलब्‍ध कराया है वह काबिल-ए-तारीफ है लेकिन लॉकडाउन के लगातार आगे खिंचने के कारण संस्‍था पर भी आर्थिक तंगी का खतरा मंडरा रहा है। उम्‍मीद है कि आम लोगों की मदद के साथ यह नेक काम आगे भी जारी रहेगा।

Website Design By Mytesta +91 8809666000

Check Also

उत्तराखंड :यूसीसी पंजीकरण का निवास प्रमाणपत्र से संबंध नहीं, दस्तावेजों की जांच का अधिकार सिर्फ रजिस्ट्रार के पास:प्रो सुरेखा डंगवाल

🔊 Listen to this @शब्द दूत ब्यूरो (06 फरवरी 2025) देहरादून। उत्तराखंड समान नागरिक संहिता …

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-