देश में 8 अक्टूबर से नयी सियासत शुरू हो गयी है । चुनावी मानसून जा रहा है ,सर्दी आ रही है। ऐसे में सभी दलों के नेताओं को ‘ ठंड ‘ रखने की जरूरत है ,लेकिन दुर्भाग्य ये है कि इस समय देश में किसी भी दल में एक भी ऐसा सर्वमान्य नेता नहीं है जो सभी से कह सके-ठंड रखो भाई ठंड ।
देश की सियासत पर लिखना नंगी तलवार पर चलने जैसा है। जरा से फिसले की जख्मी हुए। सियासत की तलवार समस्यों का खत्मा करने के बजाय एक-दूसरे का खत्मा करनेमें लगी है । हर बार लगता है कि हम सुधर रहे हैं ,लेकिन हार बार हमारे कयास गलत निकलते है। तब कहना पड़ता है –
‘रग-रग में नफरत घुल गयी जमाने की
होड़ लगी है केवल गाल बजाने की
सब जानते हैं कि नफरत मनुष्यता की सबसे बड़ी दुश्मन है ,लेकिन कौन है जो इससे बचा है । भारतीय राजनीति में तो नफरत अभी केवल एक दशक पुरानी है ,दुनिया में जो बड़ी शक्तियां हैं उनके बीच तो ये नफरत सनातन है। इस नफरत को मुहब्बत से दूर किया जा सकता है ,किन्तु नफरत के बाजार में मुहब्बत की दुकाने खुलते ही उनके ऊपर ताले जड़ दिए जाते हैं। इसके लिए जनता नहीं बल्कि हमारे नेता जिम्मेदार हैं। उनकी जबान और जुबान दोनों नफरत में डूब चुकीं है।
प्रकृति में होने बदलाव की खबर तो मौसम विभाग से मिल जाती है लेकिन सियासत में होने वाले बदलाव की खबर देने वाला कोई विभाग अभी तक बना ही नहीं है। मौसम विभाग की खबर है कि राजधानी में शुक्रवार को तापमान में सीजन की पहली बड़ी गिरावट देखी गई। न सिर्फ न्यूनतम तापमान बल्कि अधिकतम तापमान में भी गिरावट आई। कई इलाकों में तापमान 20 डिग्री से भी नीचे पहुंच गया। इन इलाकों में हल्की ठंड का अहसास होने लगा है। आने वाले दिनों में ठंड और अधिक तेजी से बढ़ सकती है। उंचाई वाले पहाड़ी इलाकों से आ रही ठंडी हवाओं की वजह से तापमान में यह गिरावट हो रही है।
देश की जनता ऐसी ही ठंडक पूरे देश में देखना चाहती है। दुर्भाग्य ये है कि हरियाणा और जम्मू-काश्मीर विधान सभाओं कि चुनावों कि बाद देश की सियासत में गर्माहट बढ़ गयी है ,जबकि बढ़ना चाहिए थी ठंड। पता नहीं क्यों कोई ठंड रखना ही नहीं चाहता। सबके दिमाग में गर्मी चढ़ी हुई है। कोई इस गर्मी का इलाज करने और करवाने कि लिए राजी नहीं है। सियासी दिमागों की गर्मी का ख़मयाज़ा भुगतना पड़ता है अंततोगत्वा देश की जनता को।
दिल्ली की तरह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का मौसम बदलने को तैयार ही नहीं है । यहां सर्दी कि बजाय गर्मी दस्तक देती दिखाई दे रही है। लखनऊ कि गोमतीनगर स्थित जेपी एनआईसी जाकर जयप्रकाश नारायण को श्रद्धांजलि दिए जाने को लेकर शुरू हुआ सियासी बवाल आप सभी कि सामने है । सुरक्षा कारणों का हवाला देकर जब यूपी की योगी सरकार ने शुक्रवार को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती के मौके पर एसपी मुखिया अखिलेश यादव को जेपी एनआईसी जाने से रोका तो अखिलेश ने अपने घर के आगे ही जेपी की मूर्ति पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी। अखिलेश ने कहा कि समाजवादी लोग जेपीएनआईसी में जाकर जयप्रकाश नारायण को श्रद्धांजलि देने जाते थे, पता नहीं क्या कारण है कि सरकार हमें रोक रही है,। उन्होंने कहा कि यह विकासवादी नहीं, विनाशकारी सरकार है।जबकि योगी सरकार केमंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि, राज्य सरकार अखिलेश यादव की सुरक्षा को लेकर चिंतित है. बारिश का मौसम है और उस जगह की सफाई नहीं हुई है, इसलिए कुछ भी हो सकता है।
यूपी में इस गर्मी की वजह कुछ और है,दरअसल वहां विधानसभा की 10 सीटों के चुनाव होने है। देश में जब-जब चुनाव आते हैं तब-तब ठंड के बजाय गर्मी बढ़ती है ,भले ही चुनाव किसी भी मौसम में कराये जाएँ। हरियाणा और जम्मू -काश्मीर के विधान सभा चुनाव और यूपी के विधानसभा उपचुनाव का सियासी महत्व एक जैसा है। इन विधानसभा चुनावों में हार-जीत का भाजपा और समाजवादी पार्टी की साख पर तो असर पड़ता है है ,साथ ही देश की समूची विपक्षी राजनीति भी इनसे प्रभावित होती है। यूपी आम चुनावों से ही सत्तारूढ़ दल को आतंकित करने लगा है। एक जमाने में जैसे बिहार ने श्रीमान लालकृष्ण आडवाणी का रथ रोका था वैसे ही जून में यूपी ने माननीय मोदी जी का रथ रोक दिया था,अन्यथा वे आसानी से 400 पर का नारा सार्थक कर सकते थे।
राजनीति के मिजाज में आजकल पहलवानों का जलजला है। हरियाणा विधानसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस की सरकार नहीं बनीं लेकिन ओलम्पियन पहलवान विनेश फोगाट विधायक जरूर बन गयी । यूपी में तो समाजवादी दल पहलवानों से भरा पड़ा है । इस दल के संस्थापक स्वर्गीय मुलायम सिंह जी स्वयं एक पहलवान थे। राजनीती में गौधन,गजधन,बाजधन और काळा धन के साथ ही बाहुबल भी बड़े काम की चीज है। ये लोकसभा चुनावों में प्रमाणित हो चुका है। हमें उम्मीद करना चाहिए कि यूपी के विधानसभा उपचुनावों से सियासत में भी गुलाबी ठंड का असर दखेगा। हम और आप केवल उम्मीद कर सकते हैं,बाक़ी का काम तो नेताओं को ही करना है। ऐसे में हमें सियासी मौसम का अनुमान लगाने वाले राम विलास पासवान की बहुत याद आती है ।
देश में जबसे नमकीन के पैकेट्स में ड्रग्स का कारोबार होने लगा है तब से एक अलग तरह की गर्मी बढ़ रही है । ड्रग्स का कारोबार तिरुपति के विवादास्पद प्रसादम से भी बड़ा है। दिल्ली में पकड़ी गयी ड्रग्स तो केवल 8 हजार करोड़ की है। हमारी सियासत और सत्ता को दर्ज के कारोबार से कभी कोई आपत्ति नहीं रह। यदि रही होती तो गुजरात में मुद्रा पोर्ट पर पकड़ी गयी ड्रग्स की महाखेप के बाद कोई न कोई तो नपता ? कोई नहीं नपा इसीलिए ड्रग्स के कारोबारियों ने गुजरात से निकलकर भोपाल में अपना कारखाना खोल लिया। लगता है कि अब सियासत में नफरत का नशा ज्यादा असर नहीं कर रहा,इसीलिए अब ड्रग्स को प्राथमिकता दी जा रही है।
बहरहाल बात मौसम की हो रही है । मैंने तो राजधानी में ठंड की दस्तक सुनते ही अपने गर्म कपड़ों को धूप दिखाना शुरू कर दी है। आप भी इस मौसम में एहतयात बरतिए ,अन्यथा खांसी ,जुकाम ,नजला हो सकता है। अपना ख्याल रखिये ।
@ राकेश अचल