@विनोद भगत
24 साल के उत्तराखंड में चाहें किसी की भी सरकार रही हो यहां के मुख्यमंत्रियों को अस्थिर करने का खेल होता रहा है। वर्तमान में राज्य के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ़ भी इसी तरह का खेल खेला जा रहा है। हालांकि कथित षडयंत्रकारियों के इन मंसूबों को हाईकमान की ओर से तगड़ झटका लगा है।
दो मंडलों से मिलकर बना उत्तराखंड राज्य देवभूमि कहलाता है। अब षडयंत्र के तहत जो साजिश रची जा रही है उसमें कुमाऊं और गढ़वाल का क्षेत्रवाद के नाम पर सरकार को अस्थिर करने का कुप्रयास चल रहा है। जबकि 24 वर्ष के उत्तराखंड में कभी भी ऐसी स्थिति नहीं आई। अगर यह कहा जाय कि अपने निजी स्वार्थों की खातिर इस शांत और सुसंस्कृत राज्य में एक गलत परंपरा डाल रहे हैं जो राज्य के विकास के लिए घातक साबित हो सकती है।
उत्तराखंड में हमेशा सरकारों और संगठन में प्रतिनिधित्व की बात अगर की जाय तो 24 साल का इतिहास प्रमाण है कि दोनों मंडलों में संतुलन का विशेष ध्यान रखा जाता है। वहीं वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री जरूर हैं लेकिन वह अपने विधायकों व मंत्रिमंडलीय सहयोगियों का तो सम्मान करते हैं और यहाँ तक कि विपक्ष के विधायक भी उन पर इस तरह के आरोप नहीं लगा सकते हैं कि उन्होंने कभी उनके सम्मान में कमी की हो। रही बात विपक्षी विधायकों के विधानसभा क्षेत्रों को लेकर भी उन्होंने विकास योजनाओं में भेदभाव नहीं किया।
क्षेत्रवाद का विष राज्य के लिए खतरनाक होगा। इस बात को हाईकमान भी समझता है। पिछले दिनों भाजपा के कुछ दिग्गज स्थानीय नेताओं की दिल्ली दौड़ और केंदीय नेताओं से मुलाकात की खबरें और तस्वीरें आने के बाद से ही षडयंत्र शुरू हो गया। राज्य में चर्चायें फैलाई गई कि नेतृत्व परिवर्तन होने जा रहा है। कहा जा रहा है कि कुछ मंत्रियों को हटाया जा सकता है। और राज्य के नेताओं की दिल्ली दौड़ के पीछे राज्य मंत्रीमंडल के रिक्त पदों पर दावेदारी करना ही इस दौड़धूप के पीछे का कारण है।
एक खास बात जो जरूरी है वह यह कि सरकार अगर अस्थिर होती है तो इसका नुकसान सीधे राज्य की जनता को भुगतना पड़ता है। ऐसे में अपने निजी स्वार्थ की खातिर राज्य का नुक़सान करने वाले क्या जनता के हितैषी हो सकते हैं? यह अपने आप में बड़ा सवाल है।
अपने पहले कार्यकाल के बाद जब पुष्कर सिंह धामी दोबारा मुख्यमंत्री बने तो उनकी कार्यशैली से उनके विरोधी भी हतप्रभ हैं। केंद्रीय नेतृत्व का पुष्कर सिंह धामी पर जो भरोसा है उसे तोड़ पाना षडयंत्रकारियों के वश का नहीं है।