@शब्द दूत ब्यूरो (20 जनवरी, 2024)
मानव-वन्य जीव संघर्ष की लगातार बढ़ रही घटनाओं के बीच उत्तराखंड सरकार ने मुआवजे की राशि बढ़ा दी है। अब वन्यजीवों के हमले में मृत्यु पर चार लाख रुपये की जगह छह लाख का मुआवजा मिलेगा। फसलों, मकानों, पशुओं पर भी जंगली जानवरों के नुकसान पर मुआवजा मिलेगा।
मानव वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि नियमावली 2024 की अधिसूचना जारी हो गई है। जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान के मुआवजा प्रबंधन के लिए प्रमुख वन संरक्षक की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय समिति गठित की जाएगी। इस समिति की देखरेख में 20-20 लाख रुपये सभी वन प्रभागों के खातों में भेजे जाएंगे। अगर कोई संस्था इस निधि में दान करेगी तो उसे आयकर अधिनियम तहत आयकर छूट मिलेगी।
स्थानीय जनप्रतिनिधि व वन विभाग के कर्मियों की पुष्टि के बाद 48 घंटे के भीतर मानव हानि पर 30 प्रतिशत, पशु हानि पर 20 प्रतिशत मुआवजा मिल जाएगा। वहीं, फसलों के हानि की घटना की सूचना दो दिन के भीतर स्थानीय वन अधिकारी को लिखित रूप से देनी होगी, जिस पर जांच के बाद 15 दिन के भीतर मुआवजा मिल जाएगा। मुआवजे की राशि राज्य आपदा मोचन निधि और मानव वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि से मिलेगी।
बाघ, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, जंगली हाथी, तीनों प्रजाति के भालू, लकडबग्घा, जंगली सुअर, मगरमच्छ, घड़ियाल, सांप, मधुमक्खी, ततैया, लंगूर और बंदर से मानव को हानि होने पर मुआवजा मिलेगा। इसके अलावा बाघ, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, जंगली हाथी, तीनों प्रजाति के भालू, लकडबग्घा, जंगली सुअर, मगरमच्छ, घड़ियाल, सांप से पशुओं को हानि होने पर भी मुआवजा दिया जाएगा। जंगली हाथी, जंगली सुअर, नील गाय, काकड़, सांभर, चीतल, लंगूर और बंदरों से फसलों को हानि होने पर। जंगली हाथी व तीनों प्रजाति के भालुओं से मकान को हानि होने पर भी मुआवजे का प्रावधान होगा।
जंगली जानवरों के हमले में साधारण घायल को 15 से 16 हजार तक मुआवजा मिलेगा। गंभीर घायल को एक लाख और आंशिक रूप से अपंग को भी एक लाख मुआवजा दिया जाएगा। जबकि पूर्ण रूप से अपंग व्यक्ति को तीन लाख मुआवजे का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त किसी व्यक्ति की जानवर के हमले में मृत्यु होने पर छह लाख तक का मुआवजा दिया जाएगा। ख़ास बात ये है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत उपचार प्राप्त करने वाले व्यक्ति इसके पात्र नहीं होंगे।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अगर मुआवजे के लालच में किसी ने अपने परिवार के सदस्य या बाकी व्यक्ति को जो बुजुर्ग, बीमा, विकलांग या मानसिक रूप से असंतुलित हो को, जंगल में भेजा तो उसे मुआवजा नहीं मिलेगा। मुआवजे के दावे के अवैध होने की पुष्टि पर मुकदमा भी दर्ज होगा।