@शब्द दूत ब्यूरो (10 नवंबर, 2022)
उत्तराखंड के दस पर्वतीय जिलों से बीते नौ महीनों में 58 हजार से ज्यादा मतदाताओं ने अपने विधानसभा क्षेत्रों से पलायन किया है। राज्य के निर्वाचन कार्यालय की ओर से नौ महीने में मतदाता बनने, नाम जोड़ने, नाम हटाने, पते में परिवर्तन आदि की गतिविधियों के बाद यह आंकड़ा सामने आया है। यह आंकड़ा अपनी विधानसभा छोड़कर जाने वालों का है। इनमें एक विधानसभा से दूसरी विधानसभा या पर्वतीय जिलों से मैदानी जिलों या दूसरे राज्यों के पलायन वाले शामिल हो सकते हैं। चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़ों पर गौर करें तो पर्वतीय जिलों से मतदाताओं के दूसरी जगहों पर भी पलायन की आशंका नजर आ रही है।
पांच जनवरी से 30 सितंबर तक प्रदेशभर से मतदाता सूची से कुल एक लाख 69 हजार 529 नाम हटाए गए। इनमें से 32 हजार 997 नाम ऐसे थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। कुल 15 हजार 772 नाम ऐसे थे जो कि रिपीट हो रहे थे। एक लाख 20 हजार 760 नाम ऐसे हैं जो कि अपनी विधानसभा से पलायन कर चुके हैं। देहरादून, हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर मैदानी और घनी आबादी वाले जिलों से कुल 62 हजार 658 मतदाताओं ने पलायन किया है, जबकि बाकी दस पर्वतीय जिलों से 58 हजार 102 मतदाताओं ने अपनी विधानसभा से पलायन किया है।
-राज्य की ग्यारह में से सात पर्वतीय विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव आयोग के मानकों से अधिक वोटर हटे।
-प्रदेश के ग्यारह विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जिनमें दो प्रतिशत से अधिक वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटे।
-पर्वतीय जिलों की चौबट्टाखाल विस क्षेत्र से 2.17 प्रतिशत और पिथौरागढ़ से 2.32 प्रतिशत नाम सूची से हटे।
-प्रतापनगर से 2.34 प्रतिशत, डीडीहाट विधानसभा से 3.51 प्रतिशत और लैंसडौन से 3.54 प्रतिशत नाम हटे।
-चुनाव आयोग ने अल्मोड़ा विस में 3.80 प्रतिशत और रामनगर से 4.16 प्रतिशत वोटरों के नाम सूची से हटाए।
-मुख्यमंत्री धामी की खटीमा विस सीट से 2.01 प्रतिशत, नानकमत्ता से 3.01 प्रतिशत नाम सूची से हटाए गए।
-रुड़की से 4.11 प्रतिशत, काशीपुर से 5.62 प्रतिशत और जसपुर से 5.96 प्रतिशत नाम सूची से हटाए गए।