@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (28 फरवरी, 2022)
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के चौथे दिन और पश्चिमी देशों के साथ जारी तनाव के बीच रूसी परमाणु प्रतिरोधी बलों को अलर्ट पर रहने का आदेश दिया है। उनके इस कदम की अमेरिका ने कड़ी आलोचना की है और इसे पूर्ण रूप से अस्वीकार्य बताया है।
रूसी राष्ट्रपति ने अपने रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख से कहा है कि वे परमाणु प्रतिरोधी बलो को “लड़ाकू ड्यूटी” के लिए अलर्ट कर दें। इसके अलावा परमाणु हथियारों को लॉन्च करने की तैयारी बढ़ाने के रूसी राष्ट्रपति के आदेश से पिछली सदी के शीतयुद्ध के दौरान स्थाई रूप से दबे कई विचारों का डर फिर से दुनियाभर के सामने आ खड़ा हुआ है।
न्यूक्लियर डेटेरेंट फोर्स यानी वह बल जो परमाणु हमलों से बचा सके और जवाबी हमला कर सके। इस बल की जड़ में परमाणु प्रतिरोध या निरोध विचारधारा है, जो शीत युद्ध से पहले की है, जिसका उपयोग किसी भी परमाणु आक्रमण को रोकने के लिए किया जाता है।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच तनाव बढ़ गया था, तब उसे शीतयुद्ध का नाम दिया गया था। उस दौरान दोनों महाशक्तियों (अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ) में परमाणु हथियारों के निर्माण और संग्रह की होड़ लग गई थी।
उस वक्त अमेरिका ने न्यूक्लियर डिटेरेंस स्ट्रेटेजी अपनाई, जिसका अर्थ यह है कि अगर सोवियत संघ या किसी भी देश ने परमाणु हमला करने का प्रयास किया, तो अमेरिका बहुत तेजी से उसका जवाब देगा और जवाबी कार्रवाई में उससे भी बड़ा हमला करेगा।
अब बदली हुई स्थितियों में रूसी राष्ट्रपति पुतिन उसी अमेरिकी रणनीति पर चल रहे हैं। पुतिन ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका या नाटो के सहयोगी रूसी अर्थव्यवस्था के खिलाफ भारी प्रतिबंध लगाना जारी रखते हैं, या यूक्रेनी सेना की सहायता करने की कोशिश करते हैं, तो रूस परमाणु हथियारों से उसका जवाब देने के लिए तैयार रहेगा।
फिलहाल इस बात की संभावना कम ही है कि अमेरिका या नाटो के सहयोगी देश रूस के खिलाफ पहले परमाणु हथियार का इस्तेमाल करेंगे क्योंकि पुतिन पहले ही कह चुके हैं कि कोई भी देश जो “हमारी राह में बाधा डालेगा” उसे ऐसे परिणाम भुगतने होंगे जो उसने इतिहास में कभी नहीं झेले होंगे।