आमतौर पर कोई भी सभ्य आदमी अपनी जांघ उघाड़कर नहीं दिखाता ,लेकिन जब जिस्म पर कपड़े बचें ही न तब कुछ भी छिपाने का कोई मतलब नहीं रह जाता.मध्यप्रदेश के मामले में भी कमोवेश यही बात लागू होती है. मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान व्यास गद्दी पर बैठकर बाबाओं की तरह प्रवचन दे रहे हैं और गृहमंत्री अपने आपको लकझक बनाये रखने मेंव्यस्त हैं ऐसे में पूरा प्रदेश तमंचा प्रदेश में कब तब्दील हो गया ,किसी को पता नहीं ?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दावा करते हैं कि उनके प्रदेश के गुंडे या तो मार दिए गए हैं या फिर वे प्रदेश छोड़कर भाग गए हैं .योगी जी का ये दावा मध्यप्रदेश में लगातार बढ़ रहे अपराधों और हर दिन बरामद हो रहे अवैध हथियारों को देखकर सही लगता है .उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमाएं आपसे में हुई हैं. दोनों प्रदेशों की जनता के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता है ऐसे में दोनों प्रदेशों के अपराधियों और अवैध हथियारों के तस्करों के बीच कोई रिश्ता हो ऐसा हो नहीं सकता .
मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर के ही आंकड़े देख लें तो आपको हकीकत का अंदाजा लग जाएगा .ग्वालियर में बीते 12 माह में पुलिस ने 761 से ज्यादा तमंचे बरामद जिए हैं .ये तो वे तमंचे हैं जो पुलिस के रिकार्ड में आ गए,उन तमंचों की संख्या का तो किसी को पता ही नहीं हैं जो लोगों के पास तक पहुँच गए .ये अवैध हथियार वैध हथियारों के मुकाबले सस्ते और आसानी से उपलब्ध हैं .मध्यप्रदेश में 2006 में दस्यु समस्या का समापन होने के बाद लोगों में लायसेंसी हथियारों के प्रति मोह भंग हुआ था लेकिन अवैध हथियार वैध हथियारों का विकल्प बन गए .इसकी वजह लायसेंसी हथियारों का नवीनीकरण शुल्क बढ़ना भी रहा.
मध्यप्रदेश में एक तरफ लायसेंसी हथियार बेचने वाली दुकानों पर जहाँ लगातार ताले लग रहे हैं वहीं दूसरी और अवैध हथियारों की मांग और खपत लगातार बढ़ रही है . मध्य्प्रदेश में अवैध हटियारों का कारोबार कुटीर उद्योग की तरह चल रहा है,कमी पड़ती है पड़ौसी उत्तर प्रदेश के उत्पादक आपूर्ति कर देते हैं .अवैध हथियारों की बड़ी आवक खरगोन, खण्डवा से है। इसके अलावा इटावा, मैनपुरी भी हथियार सप्लाई जोन हैं। अभी तक इस कारोबार पर शिकंजा कसने पर पुलिस पूरी तरह कामयाब नहीं हुई है। हथियारों की तस्करी में जो लोग पकड़े गए हैं उनसे इनपुट मिले हैं कि ग्वालियर चंबल अंचल में इन दिनों में सबसे ज्यादा डिमांड खण्डवा, खरगोन की कंट्री मेड पिस्टल और रिवाल्वर की है। कुछ बरस पहले तक अपराधियों में तमंचे की मांग थी.
मध्यप्रदेश में ग्वालियर -चंबल पुलिस आपराधिक रिकार्ड रखने में आजादी के बाद से ही अन्य जिलों से आगे रही है,इसलिए यदि आप अकेले ग्वालियर के ही आंकड़े देखें तो पाएंगे की औसतन यहां हर दिन कम से कम दो तमंचे तो बरामद किये ही जाते हैं. यदि यही मापदंड मान लिया जाये तो पूरे प्रदेश में हर दिन कम से कम सौ तमंचे तो बरामद किये ही जाते हैं लेकिन इस कारोबार को लेकर कोई गंभीर नहीं है .पुलिस रिकार्ड के मुताबिक पिछली जनवरीसे अब तक 74, फरवरी 53, मार्च 101, अप्रेल 69, मई 34, जून 52, जुलाई 38, अगस्त 25, सितंबर 35, अक्टूबर 96, नंवबर 69 और दिसंबर 115 कुल 761 हथियार मिले।
हैरान करने वाली बात ये है कि लाकडाउन में भले ही सब कुछ बंद रहा हो लेकिन अवैध हथियारों की आपूर्ति लगातार जारी रही मध्य्प्रदेश में जैसे चावल,और घी का कारोबार होता है वैसे ही अवैध हथियारों का भी होता है .मध्य प्रदेश का खरगोन, बड़वानी, बुरहानपुर और धार जिला अवैध हथियारों की मंडी बन गए हैं। यहां बने अवैध हथियार, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, झारखंड और राजस्थान सहित अन्य प्रदेशों में भेजे जा रहे हैं।
मध्य प्रदेश के अवैध हथियारों के निर्माता गुणवत्ता का पूरा ख्याल रखते हैं .मुंबई पुलिस बताती है कि अवैध पिस्टल की गुणवत्ता देखकर आप हैरान रह रह जायेंगे क्योंकि ये पुलिस के हथियारों से भी अच्छी है। यह पिस्तौल बेहद स्मूथ और वजन में हल्की हैं।पिछले दिनों मुंबई और आसपास के क्षेत्र में जितने भी बड़े अपराध हुए, उनमें आरोपियों के पास से मध्यप्रदेश से हथियार लाने की लिंक मिली है। मुम्बई में पहले यूपी के जौनपुर-प्रतापगढ़ का लिंक मिलता था।
अवैध हथियारों के तस्कर पुलिस से बचने के लिए झोले में अवैध पिस्टल और कट्टे बनाने का सामान लेकर चलते हैं। मौका मिलते ही हाथों-हाथ हथियार बना देते हैं। इन्होंने दुर्गम इलाकों में छोटी फैक्ट्री बना रखी हैं। इस कारोबार को लेकर मध्यप्रदेश की पुलिस परेशान हो या न हो लेकिन मुंबई की पुलिस बेहद परेशान और चिंतित रहती है . निमाड़ क्षेत्र में अवैध हथियार बनाने वाले सिर्फ 2000 रुपए की सामग्री में दो दिन में ही एक पिस्टल तैयार कर लेते हैं। यह 8 से 10 हजार रुपए तक में आसानी बिक जाती है। अवैध हथियार लाने-ले- जाने के लिए सब्जी-फल लदे ट्रक-टेंपो का इस्तेमाल किया जा रहा है।
मध्य्प्रदेश पुलिस ने इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए हालाँकि अपने स्तर पर बहुत कोशिश की लेकिन कोई ख़ास कामयाबी हासिल नहीं हुई. पुलिस ने पिछले दिनों खरगोन के नवलपुरा, जतिपुरा फलियां गारी, सिर्वेल, उसल गांव काजलपुरा, गोपालपुरा अम्बा और सिगनूर को अवैध हथियार के गढ़ के रूप में रिकॉर्ड पर लिया था। इसमें पांच थाना क्षेत्र के सिकलीगर की संख्या 911 और रिकॉर्ड वाले 84 सिकलीगर शामिल किए थे। इनके 48 बैंक खातों में पैसे का लेन-देन होने सा जानकारी सामने आई थी। तीन का बाहर भी लेन-देन हुआ था। बड़वानी के 9 गांवों में 4 थानों के अंतर्गत 87 सिगलीगर और उनके 36 बैंक खाते मिले थे। वहीं एक का बाहरी राज्य में लेन-देन था। ऐसे ही धार के 6 गांव में 46 सिगलीगर मिले थे, जिनके 70 खाते सामने आए थे।
अवैध हथियारों का कारोबार समय के साथ आधुनिक होता जा रहा है. मिसाल के तौर पर शहडोल जिले में ये कारोबार इंटरनेट के जरिये चलाया जा रहा है .मध्यप्रदेश में रेत,शराब,और अवैध उत्खनन के कारोबार के साथ ही स्थानीय स्तर के चुनावों में अवैध हथियारों का इस्तेमाल आम बात है. मध्यप्रदेश सरकार अवैध हथियार बनाने वाले सिकलीगरों के इस कौशल का इस्तेमाल यदि वैध तरीके से करने लगे तो मुमकिन है कि सूरते हाल बदले और प्रदेश की अर्थव्यवस्था भी .
@ राकेश अचल