वैलेंटाइन्स डे जिसे प्रेम का पर्व कहा जाता है, जिसमे आज युवा पीढ़ी एक दूसरे को गुलाब, टेडी बीयर, चॉकलेट्स और महंगे गिफ्ट देकर अपने प्रेम का इजहार करते हैं। क्या वाकई प्रेम के पर्व में इन सभी चीजों की जरूरत होती है ? क्या इनके बिना प्रेम को व्यक्त नहीं किया जा सकता ? क्या वाकई यह दिवस केवल युवाओं के लिए निश्चित है ?
नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है, प्रेम की अभिव्यक्ति के लिए किसी भी महंगे गिफ्ट, फूल या चॉकलेट्स की जरूरत नहीं है। प्रेम निश्चल होता है और वह बदले में किसी उपहार की उम्मीद नहीं करता।
कम से कम हरी बाई और उनके पति नारायण सिंह ठाकुर के प्रेम को देखकर तो यही लगता है कि प्रेम केवल त्याग और समर्पण मांगता है।
बेटी को स्कूल छोड़ते वक्त राह में अचानक मुझे एक ऐसा जोड़ा दिखाई दिया जिसको देखकर केवल मेरा ही नहीं मेरी बेटी का दिल भी कुछ हो गया। गाड़ी चलाते चलाते सहसा ही उन पर नजर पड़ी। बस्ती में रहने वाला यह जोड़ा बाहर सड़क किनारे धूप में बैठा हुआ था। अपने पति को कुर्सी पर बैठाकर हरी बाई उनकी दाढ़ी बना रही थी वो भी इतने प्यार से। फिर मुस्कराते हुए उनके बालों में तेल लगाया और उनको बिलकुल अच्छे से तैयार करके बैठाया। यह देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैं उनके पास जाकर रुक गई। तकरीबन 55 से 60 साल का की उम्र रही होगी हरी बाई और उनके पति नारायण सिंह ठाकुर की हरी बाई को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता था कि वह अपनी युवावस्था में कितनी खूबसूरत रही होंगी और नारायण सिंह भी एक छरहरे से नौजवान रहे होंगे।
पास जाकर मैंने हरी बाई से पूछा कि आप अंकल की दाढ़ी क्यों बना रहे हो ? उन्होंने बताया कि पिछले कई साल से उनको लकवा हो गया है उनके पैर और हाथ लकवाग्रस्त हैं सो वह ही रोज़ उनके सारे काम करती है उनका एक बेटा है जो 3 साल पहले काम पर गया गया था पर अब वह वापस आना नहीं चाहता, न कोई हाल चाल लेता है और न ही कोई आर्थिक मदद और न सहायता देता है। नागपुर में रहने वाले उनके भाई और यही भोपाल में रहने वाली उनकी बेटी से थोड़ी बहुत मदद मिल जाती है। आज उनके घर पर कोई और नहीं है ऐसे में हरीबाई कहती हैं कि मेरे पति ने कई साल मेरा ख्याल रखा और बहुत प्यार और सम्मान दिया तो अब मेरा भी फर्ज बनता है कि मैं उनकी सेवा करुं और उनका ख्याल रखूं।
हरिबाई का कहना है कि तकलीफ है तो आती जाती रहती है पर प्रेम और साथ बहुत मुश्किलों से मिलता है। इन्होंने मेरा खयाल रखा और अब मेरी बारी है, चाहे कोई साथ दे या न दे हम दोनों हमेशा साथ हैं और एक दूसरे का ख्याल रखते हैं।
हरी बाई और नारायण सिंह के इस निश्चल प्रेम को देखकर यह बात तो सिद्ध हो जाती है कि युवावस्था और ऐसे कई लोग जो उपहार चॉकलेट टेडी बीयर आदि देखकर सारे समाज के सामने यह दिखाने की कोशीश करते हैं कि हम एक दूसरे को बहुत प्रेम करते हैं वही कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो बिना किस दिखावे और उम्मीद के अपने प्रेम को निभाएं चले जाते हैं।
निश्चित ही यह कहानी शायद आपको उतनी खास न लगे लेकिन मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई और बहुत प्रसन्नता हुई किस प्रकार से हरीबाई अपने पति की दाढ़ी बनाते हुए प्यार से मुस्कुरा रही थी यकीन मानिए निश्चल प्रेम का इससे अच्छा उदाहरण कभी नहीं हो सकता।
हम और आप हरीबाई और नारायण सिंह को चाहे जाने या न जाने पर वह प्रेम और समर्पण हमेशा रहेगा।
दीप्ती शर्मा
ऑफ बीट रिपोर्टर