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मिलिये हरीश रावत से निराश लोगों को जीने का मक़सद बताते हैं

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो (21 अगस्त, 2021)

कोरोना काल में सभी लोग परेशान हैं। इस समय में ज्यादातर लोग ज़िंदगी से निराश हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक, दुनिया की आधी आबादी डिप्रेशन से जूझ रही है। लोग हताश और दुखी रहने लगे हैं। सच कहा जाए तो लोगों ने हंसना बंद कर दिया है।

ऐसे में दिल्ली के रहने वाले डॉ. हरीश रावत एक उदाहरण हैं। लाफ्टर योगा के ज़रिए ये लोगों को हंसाते हैं और तनावमुक्त बनाते हैं। अपनी कोशिश और लगन से लाफ्टर योगा के ज़रिए लोगों को जीने का मक़सद देते हैं। डॉ. हरीश रावत ने बताया कि “लाफ्टर योगा के ज़रिए हम पूरी दुनिया को खुश और सेहतमंद रख सकते हैं। आज लाफ्टर योगा सबकी ज़रूरत है। हंसी और मुस्कान की मदद से हम दुनिया का दिल जीत सकते हैं।”

डॉ. हरीश रावत योग को एक नई पहचान दे रहे हैं। डिप्रेशन से जुड़े लोगों के लिए विशेषतौर पर काम करते हैं. देखा जाए तो डॉ. हरीश रावत योग गुरु से ज़्यादा एक बेहतरीन इंसान हैं। इन्होंने लाफ्टर योगा के ज़रिए एक अलग पहचान बनाई है। लॉन्गेस्ट लॉफ्टर योगा मैराथन में 36 घंटे 3 मिनट तक लगातार हंसने का विश्व रिकॉर्ड बनाया है। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में इनका नाम दर्ज़ है।

डॉ. हरीश रावत ने लांगेस्ट लॉफ्टर योग मैराथन में लगातार 36 घंटे हंसने का वर्ल्ड रिकार्ड बनाया है। इस वर्ल्ड रिकॉर्ड के कारण पूरी दुनिया में उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली है। इससे पहले ये रिकॉर्ड दो इटालियन भाइयों के नाम था। दोनों भाइयों ने लगातार 24 घंटे 13 मिनट तक हंसने का रिकॉर्ड कायम किया था. अब ये रिकॉर्ड भारत के नाम है।

हंसना सेहत के लिए बेहतरीन होता है। हम जितना हंसेंगे हमारा मन उतना ही बढ़िया होगा। डॉ. हरीश रावत का मानना है कि अच्छे समय में हर कोई हंस सकता है, लेकिन आज की मॉर्डन लाइफ स्टाइल में कई चुनौतियों से घिरे इंसान के पास हंसने तक का समय नहीं है। हमें आस-पास के लोगों का ख्याल रखना है। इसलिए हंसना बेहद ज़रूरी है।

हर इंसान की तरह डॉ. रावत भी अपनी ज़िंदगी जी रहे थे। वो एक कंपनी में काम करते थे। ऐसे में एक दिन उन्होंने देखा कि उनका एक साथी डिप्रेशन में चला गया। ऑफिस का वर्क प्रेशर नहीं झेल पा रहा था। एक दिन परेशान होकर डॉ. हरीश रावत के दोस्त ने आत्महत्या कर ली। जब ये ख़बर उन्हें पता चली तो उन्होंने परेशान और हताश हुए लोगों के लिए काम करने की ठानी। ऐसे में लाफ्टर योगा करने की ठानी। इसकी मदद से वो बच्चों, बूढ़ों, युवकों और महिलाओं की ज़िंदगी में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं।

आज डॉ. हरीश रावत हर जगह जाकर लोगों को हंसाते हैं। परेशान हुए लोगों को ज़िंदगी का महत्व बताते हैं। भौतिक जीवन में हमने हंसना बंद कर दिया है। ज़िंदगी में इतने तनाव आने से हमने लोगों से दूरी बना ली है। ऐसे में समाज को डॉ. हरीश रावत जैसे लोगों की ज़रूरत है।

   

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