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लालकुआं :तिल तिल कर मरते लोग और खामोश शासन प्रशासन 

                                       वीडियो सहयोगी – आनंद बिष्ट

कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से जूझते लोग

 तिल तिल कर मरते लोग धीरे-धीरे मौत के आगोश में जा रहे हैं। प्रगति के कसीदे गढ़े जा रहे हैं उन लोगों के द्वारा जिन पर भरोसा है जनता को। पर स्वार्थ और पैसे की चमक ने उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी है।  यह है सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल के द्वारा फैलाए जा रहे प्रदूषण का काला सच यह कैसा भयानक सच।   जो  आज  तक जिम्मेदार लोगों  ने अपने स्वार्थों के लिए दुनिया की नजरों से छुपा कर रखा।   यहां इस नाले और प्रदूषण की चपेट में आकर मानवता मरती रही कराती रही तड़पती रही। बीमार सिसकियों की सदा कौन सुनता, कोई चंदे के रूप में कोई ठेकेदारी के रूप में कोई अन्य तरीकों से सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल से केवल अपना हित साधते रहे और क्षेत्र के निवासियों को बीमारी के रूप में मौत बांटते  रहे और उसके बदले में बिंदुखत्ता  क्षेत्र के लोगों को सेंचुरी में काम  के नाम पर मजदूर बना दिया गया। मजदूर भी ऐसा जो स्थायी नहीं। हर वक्त यही डर कि न जाने कब काम से निकाल दिए जायें। नौकरी के नाम पर ठेकेदारी प्रथा को बढ़ावा दिया गया। उनके हकों के साथ खिलवाड़ किया गया तथा बाहरी प्रदेश से आने वाले लोगों को यहां स्थायी नौकरी  दी गई।और स्थानीय निवासियों से छल होता रहा बदले में यहां के लोगों को दमा कैंसर जैसे भयानक रोग बांट दिये ।  उत्तराखंड में उद्योग धंधे लगाए जाने के बाद से जो सरकार के साथ उद्योग धंधों की सहमति हुई थी के 70% रोजगार स्थानीय लोगों को दिया जाएगा। बिंदुखत्ता राजस्व गांव संघर्ष समिति के लोग कहते हैं कि जो ख्वाब यहां के लोगों के मन में उद्योग को लेकर जगाये थे।  वह वास्तविकता के धरातल पर पूरे नहीं हो पाए लेकिन अब जनता जाग रही है।   अपने अधिकारों के प्रति सचेत होकर एक नई करवट ले रही है। सेंचुरी पेपर मिल के प्रदूषण को लेकर स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश पनप रहा है। यहां तक कि स्थानीय मीडिया के कुछ लोगों तथा जनप्रतिनिधियों के प्रति आंदोलनकारियों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण की वजह से हो चुकी तमाम मौतों को लेकर लोगों में दहशत भी है।

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