@शब्द दूत ब्यूरो
नई दिल्ली। कृषि कानूनों पर एक महीने से अधिक समय से जारी गतिरोध को दूर करने के लिए प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और केंद्र सरकार के बीच हुई नौवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही। दोनों पक्षों के बीच अभी भी गतिरोध बरकरार है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को तीन कृषि कानूनों के कार्यान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में गतिरोध को समाप्त करने के लिये चार सदस्यीय समिति का गठन किया था लेकिन किसान संगठनों ने इस समिति को सरकार समर्थक बताया है और साफ कहा है कि वे सरकार से तो बारबार चर्चा को तैयार हैं लेकिन समिति के समक्ष नहीं जाएंगे। किसानों का कहना है कि समिति के सदस्य पहले ही सरकार के कृषि कानूनों के पक्ष में राय दे चुके हैं। इस बीच समिति के सदस्य और भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान ने समिति से अपने को अलग कर लिया है।
ऑल इंडिया किसान सभा पंजाब के अध्यक्ष बालकरण सिंह बरार ने कहा, इस बैठक में भी कोई नतीजा नहीं निकल सका। सरकार अपनी बात पर अड़ी हुई है कि तीनों कानून रद्द नहीं होंगे। हमने सरकार को सुझाव दिया कि इस एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट में जो संशोधन सरकार ने किए हैं, उन्हें सरकार वापस ले ले। पूरे कानून को रद्द करने की जरूरत नहीं है, लेकिन इस पर कृषि मंत्री ने कोई आश्वासन नहीं दिया। अब अगली बैठक 19 जनवरी को विज्ञान भवन में होगी।
उन्होनें कहा कि 26 जनवरी के दिन प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी और अगले दो दिन में हम ट्रैक्टर रैली की रूट और अपने विरोध प्रदर्शन की रूपरेखा फाइनल कर लेंगे, इसमें कुछ छुपा हुआ नहीं है। बरार ने कहा कि 26 जनवरी के विरोध प्रदर्शन के कार्यक्रम को हम जल्द ही सार्वजनिक करेंगे।
पंजाब के किसान नेता दर्शनपाल ने बताया, नौवें दौर की बातचीत 120 परसेंट विफल रही, इसका कोई नतीजा नहीं निकला। हमने सरकार से कहा कि वह इस एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट में जो संशोधन किए गए हैं, उन संशोधनों को कानून से हटाए और पुराने कानून को बहाल करें, लेकिन इस पर सरकार ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया और आगे बात नहीं की। उन्होंने जोर देकर कहा कि 26 जनवरी को हमारी ट्रैक्टर वाली रैली जरूर होगी।