नेताजी आप कल रैली में आ रहे हैं ना।, “
दुविधा में नेताजी हैरान परेशान। जायें तो वोट बैंक खिसकने का डर। न जायें तो सरकार नाराज। नेताजी हो गये बेचैन। समर्थकों से किया राय मशवरा। समर्थक भी पशोपेश में थे। आखिर कैसे नेताजी को इस मुसीबत से बाहर निकालें?
दरअसल नेताजी की मूल पार्टी पहले ही सरकार से बाहर हो गई। और नेताजी अपनी मूल पार्टी के साथ रहने के बजाय सरकार के साथ हो लिये।
पर अब सरकार का साथ देना उन्हें भारी पड़ गया है। सरकार के समर्थन में रैली में जोर-शोर से भाग लें और गरज कर सरकार का साथ दें तो वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा नाराज यानि आने वाले चुनाव में नैय्या डोल जाने की आशंका।
नेताजी के सामने बैठे तमाम समर्थक अपने नेताजी को इस दुविधा से बाहर निकालने के उपाय सोच रहे थे और नेताजी हर समर्थक की ओर निगाहें गड़ाये हुये थे।
तभी एक समर्थक को वहां न देखकर नेताजी भड़क गए और तत्काल उसे फोन लगाया। समर्थक ने फोन उठाया और अपनी दिक्कत बताई कि उसे लूज मोशन हो गये हैं। नेताजी खुश हो गये और समर्थक को धन्यवाद दिया।
सामने बैठे सभी समर्थकों को घूरते हुये बोले, “अरे, भई, हमें लूज मोशन की शिकायत लग रही है। अब डाक्टर दो तीन दिन की आराम की सलाह देगें।
समर्थकों ने नेताजी की बात सुनकर तुरंत फोन घुमाकर रैली के कर्ता धर्ताओं को सूचित कर दिया कि लूज मोशन की वजह से नेताजी रैली में शामिल नहीं हो पायेंगे। पर सरकार को समर्थन पूरी ताकत से रहेगा। वैसे लूज मोशन से कमजोरी हो जाती है।
(यह एक काल्पनिक व्यंग मात्र है। इसका वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है)