नैनीताल /देहरादून । उच्च न्यायालय ने आज केंद्रीय मंत्री डा रमेश पोखरियाल निशंक के विरूद्ध भाजपा के बागी प्रत्याशी मनीष वर्मा की याचिका पर अर्जेंसी एप्लीकेशन को स्वीकार करते हुए सुनवाई अगस्त माह के दूसरे सप्ताह के लिये टाल दी है। सुनवाई आज सुबह 11 बजे हुई जिसमें थोड़ी देर बाद ही अर्जेंसी एप्लीकेशन स्वीकार कर ली गयी।
उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में अर्जेंसी एप्लीकेशन स्वीकार कर लेने पर विरोधी पक्ष ने प्रसन्नता जताई है। उनका कहना है कि लगता है सत्य की जीत होने जा रही है। उनका मानना है कि उनकी इस लड़ाई में जीत उन्हें ही हासिल होगी और केंद्रीय मंत्री निशंक की कुर्सी पर खतरा और बढ़ गया है।
मामला यह है कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के खिलाफ एक याचिका दायर हुई जिसमें उनके सांसद के रूप में निर्वाचन को चुनौती दी गई है। इस याचिका में निशंक पर चुनाव आयोग से शैक्षणिक योग्यता सहित जरूरी जानकारी छिपाने का भी आरोप लगाया गया है। हरिद्वार से उनके प्रतिद्वंद्वी भाजपा के बागी उम्मीदवार मनीष वर्मा द्वारा याचिका दायर की गई थी ।
याचिका में निशंक पर चुनाव आयोग के समक्ष घोषित की गई शैक्षणिक योग्यता पर भी सवाल उठाये गये हैं। साथ ही इस याचिका में यह भी लिखा गया है कि राज्य सरकारों द्वारा निशंक को श्रीनगर में प्लाट आवंटित किया गया जो उन्होंने अपने शपथ पत्र में नही लिखा जरूरी जानकारी छिपाने का भी आरोप लगाया गया है।
हरिद्वार से उनके प्रतिद्वंद्वी भाजपा के बागी उम्मीदवार मनीष वर्मा द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि निशंक का नामांकन पत्र अधूरा है और इसमें महत्वपूर्ण जानकारी छिपाई गई है। आरोप लगाया गया है कि निशंक ने हलफनामे में पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में कई सालों तक उठाई गई मुफ्त आवासीय सुविधा के संबंध में भुगतान के लिए बची हुई राशि का खुलासा नहीं किया। इसमें कहा गया कि उनके नामांकन पत्र में उनकी बेटियों के बैंक खातों की जानकारी नहीं दी गई है।
लेकिन अब झूठे शपथ पत्र पर उनका चुनाव निरस्त होना तय माना जा रहा है। देखना यह भी है कि ऊँट अब किस करवट बैठता है।
आपको बता दे क्योंकि उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पूर्व मुख्यमंत्री की सुविधाओं के मामले में फैसला निशंक के खिलाफ दिया है व राज्य सरकार द्वारा किराया माफ करने के जी0ओ को निरस्त कर दिया है जिससे यह स्पष्ट है कि निशंक का निर्वाचन के समय दिया शपथ पत्र झूठा असत्य है। ऐसे में केन्द्रीय मंत्री निशंक की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है।
वैसे पूर्व में भारतीय इतिहास में ऐसा हुआ भी है। ऐसे फैसलों ने भारतीय राजनीति के इतिहास में कई मौके ऐसे आए हैं जिन्होंने देश की दशा और दिशा ही बदल दी।
1971 में रायबरेली के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी ने जीत हासिल की उनकी जीत को उनके प्रतिद्वंद्वी राजनारायण ने चुनौती दी थी।
इस मुकदमे को भारतीय राजनीति के इतिहास में इस मुक़दमे को इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण के नाम से जाना जाता है। 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले ने इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया।