@शब्द दूत ब्यूरो (10 अक्टूबर 2025)
हरियाणा पुलिस के शीर्ष अधिकारी और मौजूदा डीजीपी शत्रुजीत कपूर इन दिनों गंभीर विवादों में घिर गए हैं। राज्य के सीनियर आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के बाद उनका नाम सीधे तौर पर इस प्रकरण में सामने आया है। आत्महत्या से पहले वाई पूरन कुमार ने जो कुछ अपने अंतिम पत्र में लिखा, उसने पूरे प्रशासनिक तंत्र को झकझोर दिया है।
वाई पूरन कुमार 2005 बैच के आईपीएस अधिकारी थे और उन्होंने पिछले दिनों रोहतक में आत्महत्या कर ली। उनके घर से बरामद चार पन्नों का सुसाइड नोट इस पूरे मामले की कुंजी बन गया। नोट में उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न, अपमान और बार-बार ट्रांसफर व जांचों के जरिए परेशान किए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा कि उन्हें “लगातार मानसिक दबाव में काम करना पड़ रहा था और संस्थागत अन्याय से लड़ते-लड़ते थक गया हूं।”
मृतक की पत्नी और आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने मुख्यमंत्री और गृह मंत्रालय को भेजे पत्र में सीधे डीजीपी शत्रुजीत कपूर और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उनके मुताबिक, उनके पति को विभागीय राजनीति और वरिष्ठ अधिकारियों के अनुचित रवैये ने आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया।
शिकायत के आधार पर अब पुलिस ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
डीजीपी शत्रुजीत कपूर हरियाणा कैडर के 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उन्होंने 16 अगस्त 2023 को हरियाणा के पुलिस महानिदेशक का पदभार संभाला था। इससे पहले वे एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) के महानिदेशक के रूप में काम कर चुके हैं।
कपूर की गिनती उन अधिकारियों में होती है जिन्होंने राज्य और केंद्र स्तर पर कई संवेदनशील मामलों की जांचों में अहम भूमिका निभाई है। वे CBI में भी डेप्युटेशन पर रह चुके हैं।
तकनीकी पृष्ठभूमि से आने वाले कपूर ने एनआईटी कुरुक्षेत्र से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी और अपने अनुशासन व सख्त प्रशासनिक शैली के लिए जाने जाते रहे हैं।
हालांकि, अब यही सख्ती उन पर भारी पड़ती दिख रही है। वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के बाद विपक्षी दलों और पुलिस संगठन के भीतर से भी आवाजें उठने लगी हैं कि “अगर सीनियर अधिकारियों पर मनमानी और उत्पीड़न के आरोप सही हैं, तो यह पूरे सिस्टम की विफलता है।”
राज्य सरकार ने इस मामले में विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, सरकार डीजीपी को अस्थायी रूप से अवकाश पर भेजने या वैकल्पिक कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त करने पर भी विचार कर रही है।
इस आत्महत्या प्रकरण ने न केवल पुलिस विभाग बल्कि पूरे राज्य प्रशासन को हिला दिया है। विपक्षी दलों ने सरकार से पूछा है कि “अगर डीजीपी स्तर का अधिकारी ही किसी अधीनस्थ पर दबाव डालकर ऐसी नौबत ला सकता है, तो आम पुलिसकर्मी की हालत क्या होगी?”
सोशल मीडिया पर भी यह मामला चर्चा का केंद्र बन गया है। कई पूर्व आईपीएस अधिकारियों और सिविल सर्वेंट्स ने वाई पूरन कुमार को “ईमानदार और समर्पित अधिकारी” बताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है।
राज्य सरकार ने फिलहाल डीजीपी शत्रुजीत कपूर के बयान तलब किए हैं और गृह विभाग को इस पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। मामले की जांच एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) के हवाले किए जाने की भी संभावना है।
इस प्रकरण ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि देश के पुलिस तंत्र में मानसिक स्वास्थ्य, विभागीय राजनीति और अधिकारी-कर्मचारी संबंधों की पारदर्शिता को लेकर ठोस सुधार कब होंगे।
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