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हम किसी के खिलाफ नहीं ,सब हमारे खिलाफ@सुरक्षा सलाहकार को सम्मन पीएम को अमेरिका में सम्मान, वरिष्ठ पत्रकार राकेश अचल की बेबाक कलम से

राकेश अचल,
वरिष्ठ पत्रकार जाने माने आलोचक

अमेरिका ने भारत के सुरक्षा सलाहकार को समन देकर बुलाया है और प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी को एक अतिथि के रूप में । वे अमेरिका में हो रहे क्वाड सम्मेलन में शामिल हुए हैं। अमेरिका के बराबर व्यवहार की अनदेखी कर मोदी जी ने दरियादिली दिखते हुए कहा है कि क्वाड शिखर सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब दुनिया तनाव और संघर्ष से घिरी हुई है। ऐसे में साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर क्वाड का एक साथ काम करना पूरी मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हम किसी के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने ये नहीं कहा की हमारे खिलाफ कौन-कौन है ? क्योंकि सब जानते हैं की शेष दुनिया का बड़ा हिस्सा हमारे खिलाफ है।

आपको बता दूँ कि अमेरिका के डेलावेयर में आयोजित क्वाड शिखर सम्मेलन में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हुए। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब दुनिया तनाव और संघर्ष से घिरी है। माननीय मोदी जी ने कहा कि साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के आधार पर क्वाड देशों को एक साथ काम करना पूरी मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अभी ये पता नहीं चला कि मोदी जी अपने पुराने मित्र डोनाल्ड ट्रम्प से मिले या नही। उन्होंने बराक ओबामा से भेंट की या नहीं। ओबामा से मोदी जी के तो-तड़ाक वाले रिश्ते हैं।

अमेरिका से खबरें आ रहीं हैं कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी तीन दिवसीय अमेरिकी यात्रा के पहले चरण में अमेरिका के फिलाडेल्फिया हवाई अड्डे पर पहुंचे। क्वाड शिखर सम्मेलन में भाग लेने से पहले उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ द्विपक्षीय बैठक की। दोनों नेताओं ने भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने के लिए नए रास्ते खोजे।वेदन और मोदी जी कि मुलाकात में डोभाल को समन और व्हाइट हॉउस में पृथकतावादी आंदोलन के समर्थकों से मुलाकात का मुद्दा उठा या नहीं ,इसकी जानकारी फिलहाल उपलब्ध नहीं है।

क्वाड सम्मेलन के लिए जिसने भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दस मोदी का भाषण लिखा ,बढ़िया लिखा । मोदी जीने कहा कि -हम सभी नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और सभी मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते हैं। स्वतंत्र, खुला, समावेशी और समृद्ध हिंद-प्रशांत हमारी साझा प्राथमिकता और साझा प्रतिबद्धता है।’उन्होंने कहा, क्वाड देशों ने स्वास्थ्य, सुरक्षा, महत्वपूर्ण उभरती प्रौद्योगिकियों, जलवायु परिवर्तन और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में कई सकारात्मक और समावेशी पहल की हैं। कहा, ‘हमारा स्पष्ट संदेश है- क्वाड यहां रहने, सहायता करने, साझेदारी करने और पूरक बनने के लिए है।’

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने राष्ट्रपति बाइडन और अपने सभी सहयोगियों को इस सम्मेलन के लिए बधाई दी। साथ ही 2025 में भारत में क्वाड लीडर्स समिट की मेजबानी करने की प्रतिबद्धता दोहराई। इससे एक संदेश भारत के विपक्षी दलों को भी मिला कि मोदी जी न तो अभी देश में मध्यावधि चुनाव करने वाले हैं और न 75 के होने पर राजनीति से सन्यास लेने वाले हैं। वे जो बाइडन को शाद अपना आदर्श मान बैठे हैं और कम से कम जो बाइडन की उम्र तक तो सत्ता छोड़ने वाले नहीं हैं। आपको पता ही होगा कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन साहब इस समय कुल 82 साल के हैं।
क्वाड शिखर सम्मेलन के बाद सदस्य देशों के नेता कैंसर मूनशॉट इवेंट में शामिल हुए. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कैंसर की रोकथाम के लिए 7.5 मिलियन डॉलर के पैकेज और 4 करोड़ वैक्सीन डोज की घोषणा की.

उन्होंने कहा कि भारत का विजन है- वन अर्थ, वन हेल्थ। निश्चित ही भारत कि ये पहल भारत के सनातन सूत्र वसुधैव कुटुंबम की अवधारणा के अनुरूप है। मोदी कि अमेरिका यात्रा के क्या निहितार्थ निकले जायेंगे ,ये बताना अभी जरूरी नहीं है लेकिन उनकी इस यात्रा का डंका भारत में हो रहे अनेक विधानसभाओं के चुनावों में अवश्य सुनाई देगी, क्योंकि देश में मोदी जी समस्याओं से घिरे हैं, उनकी उपलब्धियों का झुनझुना बजने से पहले ही कोलाहल में डूब जाता है ,किन्तु मोदी जी हार मैंने वालों में से नहीं है। भले ही देश के लोग वन नेशन- वन इलेक्शन के उनके ख्वाब कि अनदेखी करें किन्तु वे दुनिया को तो ‘ वन अर्थ -वन वैल्थ ‘का मन्त्र देकर ही माने ।
हम उम्मीद करते हैं कि मोदी जी कि अमेरिका यात्रा कामयाब हो ताकि हमारे सुरक्षा सलाहकार डोभाल साहब की रक्षा हो सके। हमारे देश के खिलाफ अमेरिका में काम कर रहे समूहों को वहां कि सरकार का समर्थन मिलना बंद हो सके। हम मोदी जी कि कामयाबी चाहते है। वे देश में कामयाब नहीं हो पा रहे तो कम से कम विदेश में तो कामयाब हो जाएँ ,अन्यथा उनके शांतिदूत बनने के सपने का क्या होगा ? वे अभी तक रूस और यूक्रेन का युद्ध तो रुकवाने में कामयाब हो नहीं पाए। बहरहाल मोदी जी ही हैं जो हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनावों के दौरान भाजपा को अकेला छोड़कर अमेरिका चले गए ,कोई दूसरा होता तो शायद बीमारी का बहाना बना लेता ।मोदी जी के सम्बोधन का चीन और पाकिस्तान ही नहीं बल्कि रूस और बाकी की दुनिया पर क्या असर पडेगा ,देखना जरूरी है। जय हो मोदी जी की।
@ राकेश अचल

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