नई दिल्ली। किसान आंदोलन के 35वें दिन केंद्र और आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के बीच ठहरी हुई बातचीत फिर से होगी। वहीं प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने कहा कि चर्चा केवल तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने पर ही होगी। इस बीच केंद्र और किसानों के बीच छठे दौर की वार्ता से एक दिन पहले केंद्रीय मंत्रियों नरेन्द्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने वरिष्ठ भाजपा नेता एवं गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार मंत्रियों ने इस बैठक में इस बारे में चर्चा की कि किसानों के साथ होने वाली वार्ता में सरकार का क्या रुख रहेगा।
बता दें कि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश किसानों के साथ वार्ता में केंद्र का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। तोमर ने कहा था कि उन्हें गतिरोध के जल्द दूर होने की उम्मीद है। केंद्र ने आंदोलन कर रहे 40 किसान संगठनों को सभी प्रासंगिक मुद्दों का “तार्किक हल” खोजने के लिए 30 दिसंबर को अगले दौर की बातचीत के लिए आमंत्रित किया। लेकिन किसान यूनियनों का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र को लिखे पत्र में कहा है कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीकों एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने का मुद्दा वार्ता के एजेंडे का हिस्सा होना ही चाहिए।
मोर्चा ने आगे कहा कि बैठक के एजेंडे में एनसीआर एवं इससे सटे इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के संबंध में जारी अध्यादेश में संशोधन को शामिल किया जाना चाहिए ताकि किसानों को दंडात्मक प्रावधानों से बाहर रखा जा सके। पत्र में यह भी कहा गया कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए बिजली संशोधन विधेयक 2020 को वापस लिए जाने का मुद्दा भी वार्ता के एजेंडे में शामिल होना चाहिए।