Breaking News

आस्था : तराई में स्थापित इस शिवलिंग का आकार घटता बढ़ता रहता है

दिनेशपुर। साढ़े तीन सौ साल पुराने बुक्सा जनजाति समुदाय की अटूट आस्था का केंद्र  रामबाग स्थित प्राचीन शिव मंदिर  सभी मुरादें पूरी करता है। 

मंदिर की स्थापना के बारे में वर्तमान पुजारी चंदू सिंह बताते हैं कि इसकी स्थापना उनके परदादा कल्याण सिंह ने की थी। चंदू सिंह ने शब्द दूत को बताया कि संतान न होने पर उसके परदादा ने हिमालय में जाकर कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर स्वयं शिव जी ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें बताया कि चंदायन स्थित उनके निवास से तीन मील दूर दक्षिण की ओर एक ऊंचे टीले में मौजूद एक शिवलिंग को ढ़ूंढकर वहां एक मंदिर की स्थापना करने पर सभी मनोकामना पूरी होने की बात कही थी। चंदू सिंह कहते हैं कि उस समय तराई में घने जंगलों में आदिवासी बुक्सा जनजाति के लोग ही निवास करते थे।

शिवजी की प्रेरणा से  चंदू सिंह के परदादा जब हिमालय से लौटे तो ग्रामीणों के साथ मिलकर रामबाग स्थित टीले से शिवलिंग को ढूंढ निकाला और उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कर शिवलिंग की स्थापना की। जिसके बाद उसके पिता भागमल सिंह का जन्म हुआ और उनका वंश आगे बढ़ा था। उन्होंने बताया कि तभी से यहां प्रतिवर्ष शिवरात्रि के अवसर पर मेला लगता आ रहा है। 

रामबाग स्थित प्राचीन शिव मंदिर के शिवलिंगके बवर्त में एक आश्चर्यजनक बात उन्होंने यह बताई  कि मंदिर परिसर में स्थित शिवलिंग का आकार समय-समय पर घटता बढ़ता रहता है। उनका दावा है कि पिछले साल की तुलना में इस साल शिवलिंग का आकार ढाई इंच के करीब बढ़ा है। उन्होंने बताया कि मंदिर के आस-पास खुदाई के दौरान कई मूर्तियां मिली थी। लेकिन उचित रखरखाव और देखभाल नही होने पर बेशकीमती मूर्तियां चोरी हो गई। मगर मंदिर परिसर में आज भी ब्रहमा, विष्णु, महेश की संयुक्त खंडित त्रिमूर्ति के अलावा नंदी भगवान की खंडित मूर्ति मौजूद है।

Website Design By Mytesta +91 8809666000

Check Also

हल्द्वानी रिंग रोड परियोजना:बुजुर्ग बोले पहले हमें फांसी दे सरकार, आंदोलन का तीसरा दिन, बारिश के चलते धरना स्थल का टैंट उखड़ा देखिए वीडियो

🔊 Listen to this @शब्द दूत ब्यूरो (13 सितंबर 2024) हल्द्वानी। पुरखों की अर्जित की …

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-