विनोद भगत
काशीपुर । पूरे देश में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार और अपराध को लेकर तमाम तरह से आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है। पर क्या हमारा समाज और सरकार धरातल पर महिलाओं के प्रति वास्तव में संवेदनशील है? यह अपने आप में एक ज्वलंत मुद्दा है।
बीती 18 अक्टूबर को उधमसिंह नगर के काशीपुर में पिंकी रावत नामक युवती की गिरी ताल रोड स्थित एक मोबाइल शो रुम में दिन दहाड़े हत्या कर दी गयी थी। जनता के आक्रोश के बीच पुलिस ने उस हत्याकांड के आठ दिन बाद खुलासा कर दिया था और हत्यारों को गिरफ्तार भी कर लिया था। कई संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने पुलिस को पुरस्कार भी दिया था। देना भी चाहिए। पुलिस की मेहनत की सराहना होनी चाहिए।
पिंकी रावत की हत्या के बाद तमाम जनप्रतिनिधि पिंकी रावत की बुआ के घर पहुंचे और सांत्वना व्यक्त की। इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कुंडेश्वरी के आईआईएम में आये जहां पिंकी के परिजन और देवभूमि पर्वतीय महासभा के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से भेंट कर पीड़ित परिवार के लिए आर्थिक सहायता की मांग की। बाद में महासभा के पदाधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री ने दो लाख की मदद की घोषणा की है।
इस बीच डेढ़ महीने में पिंकी की मां श्रीमती संतोषी देवी अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए पांच बार काशीपुर आ चुकी है। पर अधिकारी और जनप्रतिनिधि उन्हें मदद के नाम पर केवल आश्वासन ही देते आ रहे हैं। शब्ददूत ने जब पिंकी की मां से इस बाबत बात की तो उनका दर्द फूट पड़ा। एक तरफ बेटी को खोने का दुख, तो दूसरी तरफ सरकार और समाज की संवेदनहीनता ने उन्हें तोड़कर रख दिया है।
जब वह स्थानीय विधायक हरभजन सिंह चीमा से मिली तो उन्होंने कहा कि महासभा वालों ने गड़बड़ कर दी।
बेटी की याद के साथ उन्हें अब अपने परिवार खासकर बेटे के भविष्य को लेकर चिंता सता रही है। वह कहती हैं कि उनके पास अब कोई नहीं आता यहां तक कि जिस दुकान में पिंकी काम करती थी, उसका मालिक भी आज तक उनके पास सांत्वना के दो शब्द तक कहने नहीं आया। पति बीमार रहते हैं बेटे की कोई नौकरी नहीं। एक पिंकी ही थी जो कमाती थी। अब उनका कोई सहारा नहीं। उनका दर्द छलक पड़ा बोली बेटे की नौकरी के लिए आश्वासन दिया था। लेकिन वह भी खोखला निकला। सरकारी मदद के नाम पर उन्हें जनप्रतिनिधि लगातार गुमराह करते हैं। आखिर वह जाये तो जाये कहां।