Breaking News

काशीपुर :भगवा और फतवा का मुद्दा किसको लाभ पहुंचायेगा?

@शब्द दूत ब्यूरो (17 जनवरी 2025)

काशीपुर । नगर निकाय चुनाव में काशीपुर में पिछले दो दिनों से भगवा और फतवा का मुद्दा मतों के धुर्वीकरण की कोशिश है। अब भगवा और फतवा में बदल रही चुनावी जंग से किसको लाभ होगा? इसका आकलन जरूरी है।

दरअसल भाजपा की ओर से इस मुद्दे को हवा देने से मेयर का रण धार्मिक होता जा रहा है। मतदान से पांच दिन पहले इस मुद्दे से वोटों का धुर्वीकरण तो होना है। इधर कांग्रेस का परंपरागत वोट माना जाने वाला मुस्लिम मतदाता इस मुद्दे से जरूर प्रभावित होगा। लेकिन क्या हिंदू मतदाता पर भी इस मुद्दे का आशातीत असर पड़ेगा इसमें संदेह है। ऐसे में भाजपा की ओर से इतनी जल्दी इस मुद्दे को उछालना कितना उसके पक्ष में जाता है? यह अपने आप में बड़ा यक्ष प्रश्न है। यहाँ यह गौरतलब है कि भाजपा ने काशीपुर नगर निगम में छह वार्डों में मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं। इस मुद्दे से उन वार्डों में भाजपा के पार्षद प्रत्याशियों को दिक्कत हो सकती है। और यह दिक्कत मेयर प्रत्याशी के लिए भी होगी यह पूरी तरह से नहीं कहा जा सकता।

यहाँ जिस तरह से चुनाव प्रचार किया जा रहा है उससे ऐसा लगता है कि यह नगर निगम का चुनाव न होकर कोई राष्ट्रीय चुनाव हो रहा है। राष्ट्रीय चुनाव की तरह नगर निगम का चुनाव नहीं लड़ा जाता। यह तो सर्वविदित है। हालांकि भाजपा प्रत्याशी दीपक बाली ने अपनी ओर से शहर की समस्या दूर कर काशीपुर को एक विकसित शहर बनाने की घोषणा कर स्थानीय मतदाताओं को काफी प्रभावित किया है। उनकी शहर के लिए जो प्रतिबद्धता दिखाई गई है उसका उन्हें चुनाव में काफी लाभ मिलने जा रहा है। इसमें कोई शक नहीं लेकिन कुछ मुद्दों पर भाजपा की ओर से जल्दबाजी खेल बिगाड भी सकती है जिसकी कि संभावना जताई जा रही है।

उधर कांग्रेस का यह आरोप कि अब तक सरकार भी भाजपा की थी और मेयर भी भाजपा का लेकिन उसके बावजूद शहर का विकास अधूरा रहा। मतदाताओं को सोचने पर मजबूर कर देता है। हालांकि नगर निगम चुनाव में मोदी मैजिक और भाजपा की सरकार द्वारा किये गये कार्यों को गिनाकर कांग्रेस प्रत्याशी पर जोरदार हमले से भाजपा हावी है। उधर कांग्रेस प्रत्याशी पर मिथ्या सनातनी होने के आरोप लगाकर इस चुनाव में हिंदुत्व कार्ड खेला जा रहा है। पर स्थानीय समस्याओं से त्रस्त काशीपुर का मतदाता हिंदुत्व के मुद्दे पर कितना एकजुट हो पायेगा ये भी बडा़ सवाल है।

कांग्रेस प्रत्याशी संदीप सहगल के सनातनी होने पर जो सवाल उठाये जा रहे हैं उस पर मतदाता जिसने कि अपन मेयर चुनना है, पर कितना असर पड़ेगा? यहाँ यह बात गौरतलब है कि भाजपा ने मुस्लिम समुदाय के लोगों को पार्षद का टिकट देकर सबका साथ सबका विकास के नारे को लेकर चलने का प्रमाण दिया है वहीं भगवा और फतवा का मुद्दा भी उठा दिया है।

 

Check Also

उत्तराखंड :यूसीसी पंजीकरण का निवास प्रमाणपत्र से संबंध नहीं, दस्तावेजों की जांच का अधिकार सिर्फ रजिस्ट्रार के पास:प्रो सुरेखा डंगवाल

🔊 Listen to this @शब्द दूत ब्यूरो (06 फरवरी 2025) देहरादून। उत्तराखंड समान नागरिक संहिता …

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-