@शब्द दूत ब्यूरो (08 जनवरी 2025)
प्रयागराज। यहाँ लग रहे महाकुंभ में एक दंपत्ति ने अपनी 13 वर्षीय पुत्री का जूना अखाड़े को दान कर सनातन धर्म की परंपरा को निभाया है।
यूपी के आगरा से आए दिनेश ढाकरे और रीमा ने प्रयागराज महाकुंभ में अपनी 13 साल की बड़ी बेटी को जूना अखाड़े में दान कर दिया। उन्हें खुशी है कि अब उनकी बेटी आध्यात्मिक कार्यों में लगी रहेगी। इस बारे में गौरी की मां रीमा का मानना है कि यह सब ऊपर वाले की मर्जी से हुआ है। हर मां-बाप सोचते हैं कि वह अपने बच्चों को पढ़ाये, शादी विवाह करें. लेकिन बेटी को शुरू से शादी से नफरत है।
आपको बता दें कि 12 साल के दुर्लभ सहयोग के बाद प्रयागराज में महाकुंभ लगने जा रहा है। इस महाकुंभ में शामिल होने के लिए देश की अलग-अलग हिस्सों से श्रद्धालु आ रहे हैं। हर कोई आस्था के इस महासंगम में पुण्य कमाना चाह रहा है।
उधर गौरी का कहना है कि जब मैं 11 साल की थी तब से मेरा प्रेम भक्ति के लिए जागृत हो गया। मुझे भक्ति करने में आनंद आता है। मुझे अब यही रहना है और मुझे किसी प्रकार का मोह नहीं है। पहले का जीवन अच्छा नहीं था उसमें लोग कोसते थे लेकिन अब खुलकर जीने का मौका मिलता है।
गौरी को पूरी परंपरा के साथ जूना अखाड़े में शामिल कराया गया। लेकिन अभी बेटी का संस्कार बाकी है जिसमें पिंडदान और तर्पण कराया जाएगा ताकि वह पूरी तरीके से अखाड़ा के रिवाजों में शामिल हो जाए। महंत के अनुसार उसे आध्यात्मिक शिक्षा दी जाएगी। जूना अखाड़ा के संत संत कौशल गिरी ने कहा कि यह सनातन धर्म का प्रचार है और दंपति ने जो काम किया है वह कोई विरले लोग ही कर पाते हैं।