@शब्द दूत ब्यूरो (19 जून 2024)
2014 में लंबे समय बाद भारत में एक ही दल की बहुमत वाली सरकार का दौर शुरू हुआ था। बीते दस सालों में जिस तरह का राजनीतिक माहौल बताया जा रहा था उससे लगता था कि एक पार्टी के बहुमत का ये दौर अब लंबे समय तक चलता रहेगा। यहां तक कि 400 सीटों का दावा तक कर दिया गया। हालांकि विपक्ष इस दावे को नकार रहा था लेकिन देश में कम ही लोगों को मौजूदा स्थिति की उम्मीद थी। और आशाओं के विपरीत विश्व की सबसे बड़ ससदस्यों वाली राजनीतिक पार्टी कही जाने वाली भाजपा को बहुमत के लिए दूसरे और कमजोर क्षेत्रीय दलों की बैसाखी पर टिक कर सरकार बनाने को विवश होना पड़।
इतना तो संतोष भाजपा को है कि नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बन गए, लेकिन उनकी पार्टी बीजेपी अकेले बहुमत के जादूई आंकड़े से दूर रह गई। 240 सीटों पर सिमटी बीजेपी को केंद्र की सत्ता में लौटने के लिए सहयोगी दलों की मदद लेनी पड़ी जिनके पास 53 सीटें हैं।
भाजपा की इस स्थिति ने लगभग हाशिये पर धकेल दी गई कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम किया। यद्यपि 99 सीटें मिलना कोई विशेष उपलब्धि नहीं है लेकिन मृतप्राय मान ली गई कांग्रेस में जान फूंकने का जरूर काम हुआ है। अपनी पार्टी की इसी उपलब्धि से फूली नहीं समा रही कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बड़ा दावा कर दिया है। उनका कहना है कि एनडीए के कई साथी दल उनके यानी कांग्रेस पार्टी के संपर्क में हैं। राजनीति की भाषा में संपर्क का मतलब तो समझते ही हैं आप। अगर राहुल गांधी सही हैं तो यह मानने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि मोदी सरकार खतरे में है।
राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि संख्याबल की दृष्टि से सत्तारूढ़ एनडीए बहुत कमजोर है और थोड़ी सी गड़बड़ी में ही सरकार धराशायी हो सकती है। राहुल ने बिजनस न्यूजपेपर द फाइनैंशल टाइम्स को दिए इंटरव्यू के दौरान लोकसभा चुनाव परिणामों पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा, ‘संख्या इतनी कम है कि सरकार बहुत नाजुक है और छोटी सी गड़बड़ी भी इसे गिरा सकती है। मूलतः, एक (एनडीए) सहयोगी को दूसरी तरफ मुड़ना होगा।’ उन्होंने यह भी दावा किया कि एनडीए के कुछ सहयोगी ‘हमारे संपर्क में हैं।’ लेकिन कौन? राहुल ने किसी का नाम तो नहीं बताया, लेकिन उन्होंने कहा कि मोदी खेमे में बहुत गहरी ‘असहमति’ है।कांग्रेस नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से पता चलता है कि ‘भारतीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया है’। उन्होंने दावा किया कि ‘मोदी के विचार और छवि को बड़ा झटका लगा है’। उन्होंने तर्क दिया कि मोदी के नेतृत्व वाली तीसरी एनडीए सरकार ‘संघर्ष करेगी क्योंकि 2014 और 2019 में जो बातें नरेंद्र मोदी के पक्ष में थीं, वो इस बार नदारद हैं’।