विनोद भगत
काशीपुर में आज प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक कार्यक्रम में कहा कि हनुमान जी ने विवाह किया था। और मुख्यमंत्री रावत ने जो कहा वह अक्षरंश सत्य है। यह बात बहुत कम जानते हैं कि हनुमान जी ने सूर्यदेव के कहने पर विवाह किया था। हम आपको बता रहे हैं कि क्या है हनुमान विवाह की कहानी।
आंध्र प्रदेश से अलग हुये तेलंगाना राज्य के खम्मम जिले में है एक मंदिर जहाँ हनुमान अपनी पत्नी के साथ विराजमान हैं। दंपत्ति सुखी जीवन की कामना के लिए इस मंदिर में आते हैं और उनके दर्शन करते हैं। कहा जाता है कि यदि पति और पत्नी के बीच किसी भी प्रकार का तनाव है या तलाक की नौबत आ रही है तो इस मंदिर के दर्शन मात्र से यह समस्या दूर हो जाती है।
तेलंगाना के खम्मम जिले के येल्नाडु गांव में स्थित है यह हनुमान मंदिर हैदराबाद से करीब 220 किलोमीटर दूर है। मंदिर में दर्शन करने और हनुमानजी के समक्ष अच्छे से जीवन बिताने का वादा करने के बाद यह वादा दोनों पति और पत्नी को निभाना होता है। अन्यथा उनका बुरा हाल हो जाता है। उनके दर्शन के बाद जो भी (पति या पत्नी) विवाद की शुरुआत करता है, उसका बुरा ही बुरा होता रहता है।
हनुमानजी की पत्नी का नाम सुवर्चला था। वैसे तो हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और आज भी वे ब्रह्मचर्य के व्रत में ही हैं, विवाह करने का मतलब यह नहीं कि वे ब्रह्मचारी नहीं रहे। कहा जाता है कि पराशर संहिता में हनुमानजी का किसी खास परिस्थिति में विवाह होने का जिक्र है। कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण ही बजरंगबली को सुवर्चला के साथ विवाह बंधन में बंधना पड़ा।
दरअसल हनुमान जी भगवान सूर्य से शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। भगवान सूर्य ने 9 में से 5 विद्या हनुमान जी को सिखा दी लेकिन 4 विद्या ऐसी थी जो कि विवाहित पुरूषों को ही दी जा सकती थी। ऐसे में धर्म संकट यह था कि बाल ब्रह्मचारी हनुमान उन विद्याओं को विवाह के बाद ही सीख सकते थे।
हनुमानजी पूरी शिक्षा लेने का प्रण कर चुके थे और इससे कम पर वे मानने को राजी नहीं थे। इधर भगवान सूर्य के सामने संकट था कि वे धर्म के अनुशासन के कारण किसी अविवाहित को कुछ विशेष विद्याएं नहीं सिखा सकते थे। ऐसी स्थिति में सूर्यदेव ने हनुमानजी को विवाह की सलाह दी।
अपने प्रण को पूरा करने के लिए हनुमानजी ने विवाह करने की सोची। लेकिन हनुमानजी के लिए वधू कौन हो और कहां से वह मिलेगी? इसे लेकर सभी सोच में पड़ गए। ऐसे में सूर्यदेव ने अपनी परम तपस्वी और तेजस्वी पुत्री सुवर्चला को हनुमानजी के साथ शादी के लिए तैयार कर लिया। इसके बाद हनुमानजी ने अपनी शिक्षा पूर्ण की और सुवर्चला सदा के लिए अपनी तपस्या में रत हो गई। इस तरह हनुमानजी भले ही शादी के बंधन में बंध गए हो, लेकिन शारीरिक रूप से वे आज भी एक ब्रह्मचारी ही हैं।