विनोद भगत
काशीपुर । शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिए न तो मुख्यमंत्री और न शिक्षा मंत्री के आदेश और सबसे बड़ी बात कि मानवता के कोई मायने हैं। यह एक शिक्षिका की दयनीय हालत में पहुंचने मार्मिक मामला है।
सुल्तानपुर पट्टी में राजकीय कन्या इंटर कालेज में इतिहास प्रवक्ता श्रीमती चंपा चंद्रा पिछले तीन सालों से लकवाग्रस्त है। इसके बावजूद वह हल्द्वानी से रोज किसी तरह विद्यालय में कार्य कर रही है। बीते रोज उनकी हालत इतनी खराब हो गई कि वह स्कूल में ही बेहोश हो गई। आनन-फानन में उन्हें हल्द्वानी अस्पताल में ले जाया गया जहाँ वह सीसीयू में हैं। चंपा चंद्रा इस हालत में शिक्षा विभाग के अधिकारियों की संवेदनहीनता की वजह से पहुंची।
उनकी इस हालत के बावजूद उनके पति विपिन चंद्रा कहते हैं कि उन्हें किसी से शिकायत नहीं है। बस उनका तबादला हल्द्वानी उनकी बीमारी के आधार पर कर दिया जाये। उन्होंने जुलाई 2018 में मुख्यमंत्री को इस आशय का प्रार्थनापत्र भी दिया। उस पत्र पर सूबे के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने भी अधिकारियों को कार्रवाई के लिये निर्देशित भी कर दिया। लेकिन शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मुख्यमंत्री और मंत्री के निर्देश भी ताक पर रख दिये। परिणामस्वरूप शिक्षिका चंपा चंद्रा गंभीर बीमारी और शारीरिक अक्षमता के बावजूद रोज घंटों का सफर कर विद्यालय आती रहीं। बीते रोज वह विद्यालय में ही बेहोश हो गईं।
उनके पति विपिन चन्द्रा नौसेना से रिटायर हैं। वह कहते हैं कि उन्हें किसी से शिकायत नहीं है। जो भाग्य में है वह भुगतना ही पड़ेगा। उनकी यह बात सिस्टम से हारने का नतीजा है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का दिल अपने ही विभाग की वर्षों से सेवा कर रही इस कर्मचारी के प्रति कब पसीजेगा। यह अपने आप में सवाल है।