@शब्द दूत ब्यूरो (02 मार्च, 2024)
जमात-ए-इस्लामी हिंद ने उत्तराखंड सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के विरोध में आवाज उठाई है. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जेआईएच ने कहा कि हर एक धर्म के अलग-अलग व्यक्तिगत कानूनों की जगह यूसीसी व्यक्तिगत कानूनों का एक सेट पेश करेगा जो धर्म की परवाह किए बिना सभी नागरिकों पर लागू होगा. ये सही नहीं है.
जेआईएच का मानना है कि किसी भी सरकार को उचित परामर्श के बिना किसी भी धार्मिक समुदाय पर एकतरफा कोई भी निर्णय लागू करने का अधिकार नहीं है, खासकर अगर इसमें उनके धार्मिक कानून शामिल हों. उन्होंने आगे कहा कि हमारा मानना है कि असम और उत्तराखंड के घटनाक्रम भारत में बढ़ती उस प्रवृत्ति का हिस्सा हैं, जहां नफरत भरे भाषणों और मुस्लिम समुदाय को चोट पहुंचाने वाले फैसलों को सत्तारूढ़ दल के मुख्यमंत्रियों और राजनेताओं द्वारा राजनीतिक प्रभुत्व हासिल करने के लिए एक हथकंडे के रूप में देखा जाता है. युनिफोर्म सिविल कोड सिर्फ मुसलमानों को इस्लामिक शरियत से बाहर करने की साजिश है.
इस्लामोफोबिक रवैये का स्पष्ट प्रमाण है ये कानून
जेआईएच ने कहा कि असम में मुसलमानों को अब अपनी शादी को विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत पंजीकृत करना होगा. हमें लगता है कि यह निर्णय न केवल संविधान की भावना के खिलाफ है, बल्कि यह राज्य सरकार के इस्लामोफोबिक रवैये का स्पष्ट प्रमाण है. मस्जिदों को निशाना बनाया जा रहा है. दिल्ली में तीन मस्जिद, सोनहरी मस्जिद, धौलाकुआं के पास एक चार सौ साल की मस्जिद, मेहरौली में सात सौ साल पुरानी मस्जिद को शहीद कर दी जा रही है. मुस्लिम कम्युनिटी पर जो बुलडोजर चला रहे हैं ये नफरत का बुलडोजर है. असम की सरकार फैमिली कोर्ट को खत्म कर रही है. उत्तराखंड की सरकार जो कानून लाई है उसमें आदिवासी समाज को बाहर कर दिया गया है, इसे कैसे युनिफोर्म सिविल कोड कहा जा सकता है. ये कानूनी भेदभाव है, इसे रोकना चाहिए. हम हर मोर्चे पर लड़ेंगे चाहें वह सामाजिक, राजनीतिक या कानूनी ही क्यों ना हो.
प्रदर्शनकारी किसानों के साथ है जेआईएच
जमात-ए-इस्लामी हिंद ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में भारत सरकार से प्रदर्शनकारी किसानों की एमएसपी की मांग स्वीकार करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि हम कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की उनकी मांग का समर्थन करते हैं. एमएसपी के तहत सभी फसलों को शामिल किया जाना चाहिए, न कि केवल कुछ चुनिंदा फसलों को. एमएसपी की गणना स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार की जानी चाहिए. जेआईएच ने कहा कि उन किसानों के खिलाफ आंसू गैस का उपयोग अस्वीकार्य है जो विरोध करने के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं. आगे उन्होंने कहा कि जमात की चुनाव नीति में लोगों को यह बताना शामिल है कि उन्हें केवल उन्हीं उम्मीदवारों को चुनना चाहिए जिनका चरित्र अच्छा हो, जिनकी समाज में अच्छी छवि हो और जिनकी कोई आपराधिक या सांप्रदायिक पृष्ठभूमि न हो.