@विनोद भगत
(27 फरवरी, 2022)
बीती 14 फरवरी को मतदान के बाद अब सभी की निगाहें 10 मार्च को होने वाली मतगणना पर है। मतदान के रुझान और मतदाताओं की चुप्पी को देखते हुए किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने का अंदेशा भी जताया जा रहा है। बहुमत जुटाने की रणनीति तय करने के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के शीर्ष नेताओं के दिल्ली दौरे शुरू हो गए हैं।
मतदान के रुझान और मतदाताओं की चुप्पी को देखते हुए किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने का अंदेशा भी जताया जा रहा है। ऐसे में चुनाव जीतने की संभावना वाले दलों और निर्दलीयों को अपने पाले में खींचने की रणनीति अंदरखाने बनने लग गई है। कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इसी तरह के संकेत दिए हैं। भविष्य की रणनीति को लेकर हरीश रावत फिलहाल दिल्ली पहुंच भी गए हैं।
मतदाताओं से मिले रुझान के अनुसार दोनों दलों में मुकाबला बराबरी पर रहने की उम्मीद है। यही वजह है इन दोनों दलों को ये लगने लगा है कि अन्य विधायकों को अपने पाले में कर लिया जाए। यही वजह है कि दोनों दलों के शीर्ष नेता बहुमत के गुणा-भाग में अभी से जुट गए हैं।
मतदान के बाद से ही सत्ता की दावेदारी कर रही भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। सबसे ज्यादा उत्साह कांग्रेस में देखा जा रहा है।क्योंकि उत्तराखंड में अब तक किसी एक दल की लगातार दूसरी बार सरकार नहीं बनी है। साथ ही कांग्रेस को भरोसा है कि सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का लाभ भी उसे ही मिलेगा। यही वजह है कि कांग्रेस के तमाम नेता ये दावा कर रहे हैं कि उन्हें स्पष्ट बहुमत मिलने जा रहा है और 10 मार्च के बाद कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है।