@शब्द दूत ब्यूरो (21 फरवरी 2022)
कानपुर। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार हर साल करीब 1.5 करोड़ बच्चे समय से पहले ही जन्म लेते हैं तो वही दो करोड़ नवजात बच्चों का वजन जन्म के समय सामान्य से कम रहता है। यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि मानव के बढ़ते लालच ने पर्यावरण प्रदूषण की समस्या को गंभीर बनाकर बगैर अपराध के बच्चों को दुष्परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं। योग गुरु ज्योति बाबा ने एक ई संगोष्ठी में यह बात कही।
वह सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में मातृशक्ति युवा हिंदू वाहिनी के सहयोग से एक ई संगोष्ठी में बोल रहे थे। यह संगोष्ठी शीर्षक जलवायु परिवर्तन और बच्चों का स्वास्थ्य पर अंतर्राष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान पर आयोजित की गई थी। नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल के नेशनल ब्रांड एंबेसडर योग गुरु ज्योति बाबा ने कहा कि यूनिसेफ का भी कहना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते भयंकर रोगों की चपेट में हमारे बच्चे आ चुके हैं। वायु प्रदूषण के चलते भारत में जहां करोड़ों लोग प्रतिवर्ष गंभीर बीमार होते हैं। वही अकेले भारत में 16 लाख से ज्यादा लोग मौत के आगोश में समा जाते हैं।
सोशल एक्टिविस्ट डॉ अंशुमान सिंह ने बताया की हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि तापमान के बढ़ने से ना केवल नवजात शिशुओं बल्कि भ्रूण में पल रहे बच्चे तक के प्राण संकट में हैं। संगोष्ठी में भोला जैन ने कहा की जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के चलते बच्चों में नशाखोरी गंभीरतम स्तर पर पहुंच चुकी है। प्रदेश संयोजिका अंजू सिंह ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण का सबसे ज्यादा जोखिम बच्चों को उठाना पड़ रहा है। प्रदेश अध्यक्ष नीतू शर्मा ने कहा कि जिन क्षेत्रों में जलवायु प्रदूषण ज्यादा था उन क्षेत्रों में कोरोना रोगी ज्यादा मिले हैं।
मानवाधिकारवादी गीता पाल ने कहा कि स्वस्थ वातावरण हर बच्चे का जन्मसिद्ध अधिकार है। संगोष्ठी का संचालन मधु गुप्ता एडवोकेट व धन्यवाद ज्ञापन प्रमोद दुबे एडवोकेट ने दिया।अन्य प्रमुख लोगों में अंशु सिंह सेंगर,रोहित कुमार,विकास गौड़,स्वामी अमिताभ इत्यादि थे।