नई दिल्ली। केन्द्र सरकार के दिल्ली में आक्सीजन प्लांट न लग पाने पर दिल्ली सरकार को दोषी ठहराये जाने पर केजरीवाल सरकार ने गलत ठहराया है। दिल्ली सरकार के मुताबिक प्लांट लगाने के लिए 1 रुपये भी नहीं दिए गए। पीएम फंड से सारा पैसा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को दिया गया।
बता दें कि केंद्र सरकार की तरफ से सितंबर 2020 में 8 ऑक्सीजन प्लांट लगाने का निर्णय लिया थाा। लेकिन 8 महीने बाद भी एक भी प्लांट नहीं लग सका।
इधर कोरोना संक्रमण की बुरी स्थिति के बीच आक्सीजन प्लांट को लेकर केंद्र और दिल्ली के बीच सियासत जारी है। दिल्ली में अब ऑक्सीजन की कमी से लोग दम तोड़ने को मजबूर हैं। दिल्ली में 8 ऑक्सीजन प्लांट में से आठ महीने में सिर्फ एक तैयार हो सका है। अब संकट के घड़ी में सवाल उठ रहे हैं कि ये प्लांट क्यों नहीं बने?
केंद्र सरकार की ओर से पीएम केयर फंड के जरिए दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जिम्मेदारी सौंपी गई। ये ऑक्सीजन प्लांट लगाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली सरकार से जमीन मांगी। आठ अस्पतालों के अंदर दिल्ली सरकार की तरफ से जमीन उपलब्ध करवा दी गई। लेकिन ठेकेदार ने सिर्फ एक प्लांट का निर्माण किया और बाकि को अभी तक नहीं किया।
देश भर में लगभग 142 ऑक्सीजन प्लांट लगने थे। और इन सभी का ठेका एक ही ठेकेदार को सौंप दिया गया। जिसमें 8 ऑक्सीजन प्लांट दिल्ली के भी शामिल थे। ऐसे में सिर्फ एक ठेकेदार के लिए जल्दी ऑक्सीजन प्लांट बनाना संभव नहीं था। पूरे देशभर में अधिकांश ऑक्सीजन प्लांट नहीं बने हैं जिसकी वजह से ऑक्सीजन की दिक्कत हो रही है। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि कोरोना के हालात के मद्देनजर जब हमें तत्काल ऑक्सीजन प्लांट की जरुरत थी तो सिर्फ एक ठेकेदार को ही ठेका क्यों दिया गया।
पीएम केयर फंड से केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को जो फंड मिला था उससे दिल्ली के आठ अस्पतालों मेंदीप चंद बंधू अस्पताल, दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल, डॉ बीएसए अस्पताल, बुराड़ी अस्पताल, लोक नायक अस्पताल, अंबेडकर अस्पताल, जीटीबी अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट बनाने थे। अगर इनकी क्षमता करीब 5700 बेड तक ऑक्सीजन पहुंचाने की होती।