@शब्द दूत ब्यूरो
हल्दूचौड़। उत्तराखंड में 1300 गायें चारे के अभाव में भूख से मरणासन्न अवस्था में पहुंचने की कगार पर हैं। गौशाला के संचालक गायों की जान बचाने के लिए तमाम अधिकारियों यहाँ तक कि सूबे के मुख्यमंत्री से भी गुहार लगा चुके हैं। सीएम ने सिडकुल के एमडी को इस बारे में सीएसआर फंड से मदद को लिखा भी है। पर सरकारी मदद फाइलों का लंबा रास्ता तय करती है। इसलिए गायों को तब तक इंतजार करना होगा।
हल्दूचौड़ के रमेश चंद्र ने 2006 में यहाँ हल्दूचौड़ में गौशाला आरंभ की। जिसमें लोग बूढ़ी और बीमार अशक्त गायों को छोड़ जाया करते हैं। जिनके चारे में साल-भर में लाखों रूपये का खर्च आता है। कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान लोगों की ओर से जो दान आता था वह धीरे-धीरे बंद हो गया है। रमेश चंद्र बताते हैं कि अब गायों के चारे व भूसा आदि का चार करोड़ रुपये का कर्जा हो चुका है। जहाँ से वह चारा खरीदते हैं उन लोगों ने उधार देना बंद कर दिया है। दरअसल भूसा व्यवसायियों का 20 लाख रूपया गौशाला पर उधार है।
रमेश चंद्र देहरादून में सरकार नेता और गौमाता के नाम पर राजनीतिक रोटी सेंकने वालों के पास चक्कर लगा रहे हैं लेकिन कुछ हासिल नहीं हो पा रहा है। शब्द दूत से बात करते हुए रमेश चंद्र कहते हैं कि उनके द्वारा स्थापित नित्यानंदपाद गौशाला की गायों को भूख से बेहाल देखना अपने आप में बड़ा दुखदायी है। उन्होंने अपनी चार एकड़ जमीन भी गौशाला के नाम कर दी है।
यहाँ पुलिस, हाईकोर्ट और निगम के लोग भी गाय छोड़ देते हैं। रमेश चंद्र ने बताया कि 2017 तक सब ठीक चलता रहा। लेकिन नोटबंदी के बाद लोगों ने दान देना कम किया और कोरोना काल में दान लगभग शून्य हो गया। रमेश चंद्र बताते हैं कि कोई उनकी मदद नहीं कर रहा। वो भी नहीं जो हिंदुत्व की दुहाई देते हैं और गौ माता का गुणगान करते हैं। रमेश, उनकी पत्नी और चारों बच्चों ने अपना समस्त जीवन, संपत्ति गौवंश की सेवा में समर्पित कर दिया हे।