Breaking News

..तो क्या उत्तराखंड में सतपाल महाराज होंगे ‘आप’ का सीएम चेहरा, केजरीवाल और महाराज की मुलाकात की अटकलों के बीच 

@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो 

दिल्ली में जड़ें जमाने और पंजाब में अपना आधार मज़बूत करने के बाद आम आदमी पार्टी उत्तराखंड में झाड़ू फेरने की तैयारी में है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में आप चुनाव तो लड़ेगी, लेकिन पंजाब और उत्तराखंड में वह सत्ता के लिए या सत्ता बनाने में अहम रोल निभाने वाली भूमिका के लिए लड़ेगी।

अभी हाल ही में त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाकर बीजेपी आलाकमान ने तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी है। ऐसे में तीरथ सिंह रावत के पास विधानसभा की तैयारी के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है। दूसरी ओर कांग्रेस के और पहाड़ के फ़िलहाल सबसे वरिष्ठ नेताओं में एक हरीश रावत कांग्रेस की भीतरी उठापटक में फंसे हुए हैं। ऐसे में आम आदमी पार्टी किसी ऐसे चेहरे की तलाश में है जो राज्य में पार्टी की नैया को पार लगा सके।

वैसे उत्तराखंड के जन्म के बाद से ही सियासी उठापठक यहां कभी नहीं थमी। हाल-फिलहाल कुर्सी से हटाए गए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पिछले दिनों कहा भी था कि उत्तराखंड राज्य का गठन ही सही नक्षत्रों में नहीं हुआ है। पहाड़ के सर्वोच्च और देश के बड़े नेताओं में शुमार नारायण दत्त तिवारी को छोड़कर यहां पर कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका। छोटे राज्यों की त्रासदी ये है कि चंद विधायकों का एक गुट पूरा का पूरा बाहर हुआ और सत्ता दूसरे के हाथ चली जाती है। भारत के पूर्वोत्तर राज्य इसका बेहतरीन उदाहरण हैं।

फिलहाल छोटे राज्य ही केजरीवाल के निशाने पर हैं और उनकी प्राथमिकता में उत्तराखंड है। राष्ट्रीय फलक पर विस्तार के लिए आतुर आप ने पहाड़ पर भी बीजेपी की उसी रणनीति को अपनाने का फैसला किया है जो उसने पश्चिम बंगाल और असम और दूसरे राज्यों में अपनाई। यानी विरोधी पार्टियों से असंतुष्ट दमदार नेताओं को टिकट देना। राज की बात ये है कि कांग्रेस और बीजेपी के बाग़ी नेताओं को टिकट देकर उत्तराखंड की सत्ता में केजरीवाल की पार्टी किंगमेकर बनने का ख़्वाब न सिर्फ संजो रही है, बल्कि उसे साकार करने के लिए एक कदम आगे बढ़ा भी चुकी है।

राजनीति के गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी के प्रदेश में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज आगामी विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री का चेहरा हो सकते हैं। कांग्रेस से सियासी कैरियर शुरू करने वाले सतपाल महाराज केंद्र में राज्य मंत्री भी रहे। यहां तक कि महाराज ने पहाड़ पर वर्चस्व की लड़ाई में हरीश रावत सरकार को भी पटखनी देने की कोशिश की। और अंततः हरीश रावत सरकार को हराने के लिए बीजेपी में शामिल हो गए।

बताया जा रहा है कि सतपाल महाराज की आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल से एक मुलाक़ात भी हो चुकी है। बाक़ी आगे के नियम व शर्तों पर बातचीत चल रही है। केजरीवाल की कोशिश है कि जिस तरह से बीजेपी और कांग्रेस के बीच अंदरूनी खींचतान है, उसका फायदा उठाकर असंतुष्ट नेताओं को अपने पाले में खींच लिया जाए। वैसे भी मौजूदा बीजेपी सरकार की कैबिनेट कांग्रेस के नेताओं से ही भरी हुई है। इस तरह केजरीवाल ने भी इन दोनों दलों से असंतुष्ट और जिताऊ चेहरों को टिकट देकर पहाड़ पर झाड़ू को चलाने की कोशिश तो शुरू कर ही दी है।

दरअसल, आप का मानना है कि अगर उत्तराखंड में सतपाल महाराज और कुछ बड़े चेहरे उसके झंडे तले आ जाते हैं तो राज्य की विधानसभा में किसी को पूर्ण बहुमत नहीं होगा। उस स्थिति में वह किंगमेकर की भूमिका में आती है तो राष्ट्रीय फलक पर छा जाने की उसकी महत्वाकांक्षाओं को पर लग सकते हैं।

Website Design By Mytesta +91 8809666000

Check Also

बड़ी खबर :”जो राम को लाए हैं हम उनको लाएंगे “के गायक कन्हैया मित्तल कांग्रेस में होंगे शामिल, कहा भाजपा ने मेरे गाने का गलत इस्तेमाल किया, कांग्रेस राम विरोधी नहीं है

🔊 Listen to this @शब्द दूत ब्यूरो (08 सितंबर 2024) “जो राम को लाए हैं …

googlesyndication.com/ I).push({ google_ad_client: "pub-