@शब्द दूत ब्यूरो
नई दिल्ली। स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन के पहले चरण का ट्रायल प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लैंसेट के रिव्यू में पास हो गया है। हालांकि उसके तीसरे चऱण का ट्रायल जारी है। भारत बायोटेक की स्वदेशी वैक्सीन कोवैक्सीन को कोविशील्ड के साथ देश में कोरोना टीकाकरण में आपात इस्तेमाल के तहत लगाया जा रहा है। तमाम विशेषज्ञों ने तीसरे चरण के परीक्षण पूरे किए बिना और उसकी प्रभावशीलता का डेटा आए बिना कोवैक्सीन के इस्तेमाल पर सवाल उठाए हैं। भारत के ड्र्ग रेगुलेटर डीसीजीआई ने इसे मंजूरी दी थी।
कोवैक्सीन के टीके को भारत बायोटेक ने आईसीएमआर और नेशनल वायरोलॉजी पुणे के सहयोग से तैयार किया है। लैसेंट के प्रतिष्ठित संक्रामक रोग से जुड़े जर्नल में लैंसेट के पहले चरण के ट्रायल के नतीजे प्रकाशित किए गए।
पहले चरण में टीके ने अच्छी प्रतिरोधक क्षमता बिना किसी दुष्प्रभाव के दिखाई है। दूसरे चरण के नतीजों का भी अध्ययन हो रहा है। जबकि कोवैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल देश में हो रहा है। इसके लिए वालंटियर की टीम जुटाई गई है। ऑक्सफोर्ड की कोविशील्ड के साथ कोवैक्सीन भी हेल्थ वर्कर और फ्रंटलाइन वर्करों को दी जा रही है। किसी भी वैक्सीन के पहले दो चरण के मानवों पर परीक्षण मुख्यतया सुरक्षा पर ध्यान देते हैं। जबकि तीसरे चरण के ट्रायल में टीके की प्रभावशीलता पर फोकस किया जाता है।
रिव्यू के लेखकों का कहना है कि टीके के परीक्षण में जो भी साइड इफेक्ट सामने आए हैं, वे बेहद मामूली और सामान्य स्तर के हैं और पहली खुराक के बाद ज्यादा इसे देखा गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि एक शारीरिक दुष्प्रभाव का और मामला सामने आया था, लेकिन उसका वैक्सीन से लेना-देना नहीं था।