@शब्द दूत ब्यूरो
लव जिहाद के मुद्दे पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) भाजपा के रुख से सहमत नहीं है। पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद जिस आक्रामक तरीक़े से जनता दल यूनाइटेड ने इस मुद्दे पर पूरे देश में भाजपा के इस कदम का विरोध किया है, उससे लगता है कि आने वाले समय में दोनों पार्टियों में मतभेद और विरोध बढ़ेगा। भाजपा के कई नेताओं ख़ासकर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह समेत कई सांसदों ने इस मुद्दे पर अध्यादेश या बिल लाने की मांग की थी। माना जा रहा है कि जेडीयू में आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाकर नीतीश कुमार ने अब अपने और भाजपा के बीच नई दीवार खड़ी कर दी है। भाजपा को अब किसी भी मुद्दे पर बात करने के लिए पहले आरसीपी सिंह से निपटना होगा।
जेडीयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने साफ कहा कि लव जिहाद को लेकर देश के कोने-कोने में घृणा फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। संविधान औऱ सीआरपीसी की धाराओं में लिखा हुआ है कि दो वयस्क अपनी मर्जी से अपना जीवनसाथी चुनने को स्वतंत्र है। इसमें जात-पात, धर्म या क्षेत्र कोई मायने नहीं रखता। लिहाजा लव जिहाद को लेकर जो घृणात्मक, निंदात्मक और विभाजनकारी माहौल पैदा किया जा रहा है। इसे जेडीयू सही नहीं मानती।
त्यागी ने नीतीश कुमार के राष्ट्रीय स्तर पर नई भूमिका के भी संकेत दिए। बीजेपी से कम विधायकों के बावजूद मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार को लेकर उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार संख्या बल नहीं, साख के नेता हैं। 2005 से पहले भी वह इसी आधार पर मुख्यमंत्री बने थे। नीतीश कुमार के नेतृत्व और आभामंडल को संख्या बल के आधार पर नहीं आंका जाना चाहिए। नीतीश अन्य राज्यों में भी पार्टी के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में गठबंधन को लेकर कोई विवाद नहीं है, लेकिन हमारा मन अरुणाचल प्रदेश की घटना को लेकर दुखी है।
जेडीयू ने यह भी संकेत दिया कि लोजपा नेता चिराग पासवान द्वारा बिहार चुनाव में जेडीयू के खिलाफ अपनाई गई रणनीति को लेकर वह खामोश नहीं बैठेगी। त्यागी ने कहा कि पार्टी ने चुनाव लड़ने वाली सभी नेताओं और जिलाध्यक्षों को निर्देश दिया है कि उन व्यक्तियों, कारणों और समूहों का पता लगाएं, जिन्होंने जेडीयू को हराने का काम किया। पार्टी को पिछली बार के बराबर इस बार भी मत मिले हैं।