नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने रियल एस्टेट कंपनी यूनिटेक लिमिटेड के संस्थापक रमेश चंद्रा और उनके दो बेटों संजय और अजय चंद्रा के खिलाफ बैंक धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। इन तीनों पर केनरा बैंक से 198 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है। बैंक ने पिछले माह दायर अपनी शिकायत में कहा था कि यूनिटेक 1971 से ही उसकी ग्राहक है और इस दौरान कई बार उसने कर्ज लिया है, लेकिन हाल ही में उसने कई बार समय पर कर्ज नहीं चुकाकर डिफॉल्ट किया है।
शिकायत में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुए फोरेंसिक ऑडिट से पता चला है कि यूनिटेक ने 29,800 घर खरीददारों से 14,270 करोड़ रुपये इकट्ठा किए थे। हालांकि इनमें से 5036 करोड़ रुपया 74 प्रस्तावित आवासीय परियोजनाओं में नहीं लगाया गया। ऑडिट से यह जानकारी भी सामने आई कि यूनिटेक ने केनरा बैंक समेत छह वित्तीय संस्थानों से 1805 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। इसमें से 763 करोड़ रुपये का सही इस्तेमाल नहीं किया गया।
यह जानकारी भी सामने आई कि वर्ष 2007 से 2010 के बीच यूनिटेक की सहायक कंपनियों ने साइप्रस में दस कंपनियों में करीब 1745.81 करोड़ रुपये का निवेश किया था। केनरा बैंक ने आरोप लगाया कि यूनिटेक ने अमानत में खयानत के साथ गैरकानूनी तरीके से थर्ड पार्टी राइट्स हासिल कर लिया। इस तरह से धन का निजी कार्यों में इस्तेमाल किया गया।
यूनिटेक 74 परियोजनाओं को पूरा नहीं कर सकी, जिनमें करीब 17 हजार करोड़ रुपये निवेशित था। इससे हजारों घर खरीददार दशकों से अपना आशियाना पाने को भटक रहे हैं। इस साल जनवरी में घर खरीददारों को थोड़ी राहत मिली जब सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के प्रबंधन का नियंत्रण सरकार को सौंप दिया, जिसने नया बोर्ड गठित करने के साथ निदेशकों को नामित किया। फिलहाल, पूर्व आईएएस यदुवीर सिंह मलिक को इसका चेयरमैन और एमडी बनाया गया है।