@नई दिल्ली शब्द दूत ब्यूरो
कोरोना महामारी से जूझ रहे भारत के लिए एक अच्छी और बड़ी खबर सामने आ रही है। देश के लोगों को इससे काफी राहत मिलेगी। अन्तरराष्ट्रीय कंपनी फाइजर की भारतीय इकाई फाइजर इंडिया ने भारत में कोरोना वैक्सीन के इमरजेंसी ट्रायल की अनुमति मांगी है। इस तरह की अनुमति मांगने वाली यह पहली दवा निर्माता कंपनी है जिसने भारत में ये अनुमति मांगी है। जानकारी के अनुसार फाइजर ने डीसीजीआई को इसके लिए आवेदन भी कर दिया है।
बता दें कि फाइजर को ब्रिटेन और बहरीन की सरकारों ने इस वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है।
फाइजर ने भारत में वैक्सीन के ट्रायल की अनुमति मांगी है उसमें इसके आयात और डिस्ट्रीब्यूटर की भी इजाजत देने के लिए निवेदन किया है। कंपनी ने चार दिसंबर को जो आवेदन किया है उसमें न्यू ड्रग्स एंड क्लीनिकल ट्रायल्स रूल्स, 2019 के तहत भारत के लोगों पर परीक्षण से छूट की अनुमति भी मांगी है।
फाइजर को वैक्सीन के इस्तेमाल की इजाजत देने में ब्रिटेन सबसे पहला देश था। वैसे ऐसी प्रक्रिया में 10 साल तक लग जाते हैं। लेकिन ऐसे में जब किसी महामारी के दौरान वैक्सीन या दवा के तात्कालिक लाभ इसके जोखिमों पर भारी नजर आएं तब सरकारें ऐसी मंजूरियां देती हैं।
अभी तक हुये परीक्षणों में फाइजर की कोरोना वैक्सीन 95 फीसदी तक सफल हुई है। कहा जा रहा है कि यह वैक्सीन जलवायु, भौगोलिक स्थितियों, रख-रखाव और इस्तेमाल के लिहाज से भारत के लिए भी मुफीद होगी। फाइजर अपने कोविड-19 टीके का आपात इस्तेमाल के लिए अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन से भी मंजूरी देने की मांग कर चुकी है।
हालांकि भारत में मौजूदा समय में आठ वैक्सीन ट्रायल का हो रहा है। इनका उत्पादन देश के भीतर ही होना है। इनमें से तीन का विकास तो देश के भीतर ही किया गया है। बीते दिनों पीएम मोदी ने मोडेरना और फाइजर का नाम लिए बगैर संकेत दिया था कि भारत अपनी वैक्सीन पर ज्यादा भरोसा कर रहा है। सबसे पहले कोरोना के इलाज से जुड़े हेल्थकेयर वर्कर्स , कोरोना मरीजों के प्रबंधन से जुड़े फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन देने की रिपोर्टें सामने आ चुकी हैं।
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि कोरोना वैक्सीन कुछ हफ्तों में बन सकती है। इसके साथ ही दिल्ली और हैदराबाद के हवाई अड्डे भी इसकी ढुलाई में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। दिल्ली हवाई अड्डे पर दो विश्वस्तरीय कार्गो टर्मिनल हैं। यहां किसी वस्तु को -20 डिग्री से लेकर 25 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में रखने के लिए विशेष चैंबर बने हुए हैं। वैक्सीन वितरण में यह काफी उपयोगी साबित हो सकता है।