@शब्द दूत ब्यूरो
उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने अब तक के कार्यकाल शायद ही कोई ऐसा माह याद कर पाये हों जब उनकी सरकार और कुर्सी पर खतरा न मंडराया हो। इसके बावजूद मुख्यमंत्री निरापद ढंग से अपने विरोधियों को मात देकर डटे हुए हैं। विरोधी भी विपक्षी दलों से नहीं खुद उन्हीं के दल से उभर कर आ रहे हैं।
ताजा मामला पूर्व कैबिनेट मंत्री लाखीराम जोशी के पत्र का है। हालांकि राज्य संगठन भाजपा ने लाखीराम जोशी को पार्टी से निलंबित कर दिया है।
इससे पहले जो भी मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के विरोध में सामने आया उसे समझा बुझाकर शांत किया गया। लेकिन यह पहली बार हुआ कि सीधे निलंबन की कार्रवाई की गई। निलंबन की कार्रवाई से ये संदेश देने की कोशिश की गई मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का विरोध करने वाले को बख्शा जायेगा।
मुख्यमंत्री समर्थक लॉबी का मानना है कि केन्द्र में बैठे राज्य के कुछ भाजपा नेता ही त्रिवेन्द्र सिंह रावत के विरोध को हवा दे रहे हैं। यहां तक कि कि लोग यह कह रहे हैं कि पार्टी के भीतर कुछ नेताओं द्वारा केंद्र से ही अपने इशारे किये जा रहे हैं। लाखीराम जोशी की चिट्ठी के पीछे भी ऐसे ही लोगों का हाथ बताया जा रहा है।
पूर्व में भी मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत कह चुके हैं कि उनके खिलाफ अपने ही साजिश कर रहे हैं। उधर केन्द्रीय भाजपा नेताओं द्वारा त्रिवेन्द्र सिंह रावत की पीठ ठोके जाने से भी वह खुलकर विरोध नहीं कर पा रहे हैं। मुख्यमंत्री समर्थक कहते हैं कि त्रिवेन्द्र सिंह रावत पूरे पांच साल मुख्यमंत्री रह कर भाजपा का रिकॉर्ड बनायेंगे। गौरतलब है कि भाजपा से कोई भी पूरे पांच साल मुख्यमंत्री नहीं रहा।
लाखीराम जोशी ने सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर त्रिवेन्द्र सिंह रावत को हटाने की मांग कर सनसनी फैला दी थी। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले ही त्रिवेन्द्र सिंह रावत की पीठ ठोंक चुके हैं। ऐसे में इस चिट्ठी से मुख्यमंत्री को कोई फर्क नहीं पड़ता। लाखीराम जोशी क्या केन्द्र में बैठे राज्य भाजपा के नेताओं का मोहरा बन गये? यह सवाल देहरादून के राजनीतिक गलियारों में चर्चित है।