काशीपुर । बदलते दौर में अब राजनीति भी बदल रही है। काशीपुर की राजनीति पिछले बीस वर्षों में एक ही व्यक्ति के इर्द-गिर्द सिमट कर रह गई है। हालांकि इससे पहले भी वर्षों तक दिग्गज राजनेता एन डी तिवारी काशीपुर की राजनीति का केंद्र बिंदु बने रहे। कहना गलत न होगा एन डी तिवारी की राजनीति के दौर में काशीपुर एक छोटे नगर से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चमका। यहाँ तक कि प्रदेश ही नहीं देश की राजनीति तक को प्रभावित काशीपुर की राजनीति ने किया था।
वक्त बदला शहर के औद्योगिक विकास के साथ तमाम राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संस्थानों जिसमें शिक्षा स्वास्थ्य आदि से जुड़े संस्थान इस शहर की पहचान बन गये। लेकिन अफसोस कि जब इस शहर की राजनीति से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचे एन डी तिवारी के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं की चर्चा होने लगी तब एक अपेक्षाकृत युवा नेता ने एन डी तिवारी को शिकस्त देकर इस शहर की आगे विकास की संभावनाओं पर ब्रेक लगा दिया। एन डी तिवारी की हार का सबसे बड़ा खामियाज़ा काशीपुर शहर को भुगतना पड़ा। थमे हुये विकास के बीच यहाँ के लोग भावनाओं में बहते रहे और शहर राजनीति की भेंट चढ़ गया। लोग थमे हुये विकास के पहिये के साथ स्थिर खड़े होकर पूर्व में किये गये राजनेता के विकास को बिसरा कर मौजूदा जनप्रतिनिधि के द्वारा विकास को ठप्प करने का रोना रोते रहे।
दरअसल जब शहर के विकास को गति देने वाले राजनीतिक व्यक्तित्व को स्थानीय लोगों ने बिसरा दिया तो मौजूदा नेतृत्व भी समझ गया कि शहर का विकास करने के बजाय भावनाओं के आधार पर लोगों के साथ राजनीति की जाये।
पर क्या इस बार काशीपुर शहर की राजनीति बदल रही है? नये चेहरे सामने आ रहे हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से तो यही संभावना नजर आ रही है। उधर भाजपा से अभी तक यह माना जा रहा है कि पिछले बीस वर्षों की परंपरा जारी रहेगी। किस ओर जा सकती है काशीपुर की राजनीति और क्या बदलेगा शहर के लोगों का रूझान?
क्या विकास जीत का पैमाना नहीं है काशीपुर में? श्रृखंला के दूसरे हिस्से में पढ़िये विश्लेषण काशीपुर की चुनावी राजनीति का।