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मिसाल: सेना के लिए अफसर जुटा रहे हैं रुद्र सिंह रावत

@शब्द दूत ब्यूरो

दिल्ली के एक कोचिंग इंस्टीट्यूट से 30 लाख रुपये का पैकेज ठुकराकर उत्तराखंड का एक पूर्व सैनिक रुद्र सिंह रावत पहाड़ आकर अपने खर्च पर सेना के लिए अफसर तैयार करने में जुटा है। सेवानिवृत्त के बाद उन्होंने गांव के पास गैरखेत में 13 नाली जमीन लेकर मिनी एकेडमी की शुरुआत की।

विडंबना यह है कि उनकी इस काबलियत से पहाड़ के आर्थिक रूप से कमजोर छात्र अंजान हैं, जबकि उनके जुनून ने कई प्रांतों के गरीब और मेधावी छात्रों को उनका मुरीद बना दिया है। सेना जैसे माहौल वाली एकेडमी में कोई भी और देश के किसी भी राज्य का बच्चा शामिल हो सकता है बस शर्त इतनी है कि मेधावी होने के साथ बच्चे में सेना में शामिल होने का जुनून होना चाहिए। एकेडमी में उत्तराखंड के निर्धन छात्रों को विशेष प्राथमिकता दी जाती है।

स्याल्दे ब्लॉक में रोटापानी के अफूं गांव निवासी रुद्र ने सेना से वीआरएस लिया है। सेना में नौकरी के दौरान अवकाश पर आते ही वह दिल्ली, देहरादून में एनडीए, एसएसबी की तैयारी में जुटे छात्रों को पढ़ाते थे। उनके पढ़ाए हुए करीब दो सौ छात्र सेना में अधिकारी बन चुके हैं। इस वर्ष उनकी एकेडमी में 14 बच्चों का चयन हुआ है, जिनमें सात बच्चे उत्तराखंड के हैं।

इन बच्चों में गुजरात, हिमाचल, जम्मू, हरियाणा, यूपी, बिहार और पंजाब के बच्चे शामिल हैं। इनमें गरीब पारिवारिक पृष्ठभूमि के तीन मेधावी बच्चों से वह शुल्क नहीं लेते, उनका रहना, खाना भी मुफ्त है। पढ़ाई का सिलसिला सुबह पांच बजे से रात दस बजे तक चलता है। इस दौरान खेल, योग, व्यायाम आदि भी होता है।

एकेडमी के संचालन में रुद्र का साथ उनकी पत्नी पंखुड़ी रावत (दीक्षा) भी देती हैं। गुरुकुल की तरह गुरुमाता की तर्ज पर वह छात्रों के खानपान का पूरा ध्यान रखती हैं। रुद्र सिंह रावत पढ़ाई के साथ सैनिक अनुशासन का भी पालन करते हैं। खाने, खेलने, जागने, सोने के साथ मोबाइल से बात करने का समय भी निर्धारित है। वह छात्रों के मोबाइल फोन रात नौ बजे से सुबह नौ बजे तक खुद अपने पास जमा करा लेते हैं। सुरक्षा की दृष्टि से भी पूरे परिसर की कंटीले तारों से तार-बाड़ की गई है। बाहर से देखने पर परिसर सेना की छावनी सा दिखता है।

रुद्र रावत की दो स्वरचित पुस्तकों का प्रकाशन नोशन प्रेस चेन्नई से हुआ है। ‘अवेकन योरसेल्फ विदिन यू’ और ‘सर्विस सेलेक्शन बोर्ड’ नामक पुस्तकें काफी चर्चा में हैं। सेना को करिअर बनाने की तैयारी कर रहे युवाओं के बीच दोनों पुस्तकें काफी लोकप्रिय हैं। ऑनलाइन बिक्री में रिकॉर्ड बना चुकी दोनों पुस्तकों को रेटिंग के आधार पर दिल्ली में हुए विश्व पुस्तक मेले में फ्री एंट्री भी मिली थी।

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