@शब्द दूत ब्यूरो
काशीपुर । नगर में अतिक्रमण को लेकर उच्च न्यायालय में दायर एक जनहित याचिका को न्यायालय ने वापस कर अधिकारियों के विरूद्ध अवमानना याचिका दायर करने की अनुमति दी है। उच्च न्यायालय ने यह आदेश अपने तीन वर्ष पूर्व अतिक्रमण हटाने को लेकर दिये गये अपने ही एक आदेश के परिप्रेक्ष्य में दिया है।
दरअसल मौ रहमखानी निवासी मनोज कौशिक ने उच्च न्यायालय नैनीताल में एक जनहित याचिका काशीपुर बाजार में बढ़ रहे अतिक्रमण को लेकर दायर की थी। जिस पर उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने तीन वर्ष पूर्व 1 जून 2017 एक पूर्व याचिका पर दिये गये आदेश का हवाला देते हुए कहा कि कि रतन सिनेमा रोड व मेन मार्केट काशीपुर महाराणा प्रताप चौक से लेकर किले मौहल्ले तक किसी भी दुकान का सामान नाली के ऊपर व नाली के पार न लगे तथा फड़ आदि हटाये जायें। उच्च न्यायालय के इस आदेश का स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा पालन न किये जाने के परिणामस्वरूप काशीपुर का बाजार अतिक्रमण से मुक्त नहीं हो पाया।
याचिकाकर्ता मनोज कौशिक ने बताया कि मौ खालसा निवासी एडवोकेट कासिफ अली की वर्ष 2015 में अतिक्रमण को लेकर उच्च न्यायालय नैनीताल में दायर याचिका पर उपजिलाधिकारी काशीपुर व नगर निगम अधिकारियों ने दाखिल अपने जबाब में स्वीकार किया था कि रतन सिनेमा रोड व मुख्य बाजार की दोनों सड़कों पर भारी मात्रा में अतिक्रमण है। जिस पर उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति आलोक सिंह व वी के बिष्ट ने आदेश दिया था कि इन दोनों सड़कों पर अतिक्रमण हटाया जाये।
उच्च न्यायालय के 2017 के आदेश के बावजूद भी स्थानीय प्रशासन अतिक्रमण नहीं हटा पाया। मनोज कौशिक की जनहित याचिका पर अपने पूर्व आदेश का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय ने अतिक्रमण हटाने में विफल काशीपुर के प्रशासनिक अधिकारियों के विरूद्ध अवमानना याचिका दायर करने की अनुमति दी है।