नई दिल्ली। रेल मंत्रालय दिल्ली, मुंबई समेत करीब 50 रेलवे स्टेशनों को पीपीपी मॉडल (PPP Model) के तहत निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रहा है। यही नहीं बड़े रेलवे स्टेशनों को हवाई अड्डों की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। सुविधा के नाम पर यात्रियों से यूजर्स चार्जेस के तौर पर पैसे वसूलने की तैयारी भी हो रही है। रेल यूनियन इसे निजीकरण कहकर विरोध कर रहा है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पांच लाख यात्री रोज आते हैं। अब इस रेलवे स्टेशन को पीपीपी मॉडल के जरिए बदलने की योजना है। कनॉट प्लेस से लगे होने के कारण रेलवे की बेशकीमती जमीन पर मॉल से लेकर होटल तक बनेंगे। इसी तरह मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस की हेरीटेज बिल्डिंग से सटी जमीन को विकसित किया जाएगा।
इन रेलवे स्टेशनों पर मॉल होटल के अलावा नई तकनीकी के साथ यात्रियों को ज्यादा सुविधाएं देने का वादा भी है। निजी कंपनियों को 60 साल के लिए लीज पर देने के प्रस्ताव के चलते अडानी, जीएमआर से लेकर सिंगापुर तक की कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है। खास बात ये है कि इसकी पर्यावरण एनओसी भी रेलवे मंत्रालय ही लेकर देगी। नीति आयोग के चेयरमैन अमिताभ कांत ने रेलवे के फैसले को लेकर कहा कि ”ऐसे ही जब प्राइवेट बैंक आए तो क्या SBI बंद हो गया? नई तकनीक आएगी, ग्रोथ बढ़ाएंगे।”
हालांकि बड़े रेलवे स्टेशनों को एयरपोर्ट की तरह विकसित करने की कीमत रेलवे अपने यात्रियों से यूजर्स चार्जेज के तौर पर वसूल करेगा। फिलहाल दिल्ली, मुंबई समेत बड़े शहरों के करीब 50 स्टेशनों पर जाने वाले यात्रियों पर यूजर्स चार्जेज लगाया जाएगा।
उधर रेलवे की पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से नाराज ट्रेड यूनियन इसका विरोध करने सड़कों पर उतरे हैं। ट्रेड यूनियनों का कहना है कि रेलवे में सफर करने वाले ज्यादातर लोग गरीब तबके से आते हैं। यूजर्स चार्जेज लगाकर अब गरीबों से पैसे वसूलने की तैयारी हो रही है। एआईआरएफ के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि ”हमारे रेलवे स्टेशन पर आने वाले लोग हवाई जहाज से यात्रा करने वाले लोग नहीं हैं। वे पांच फीसदी लोग यूजर्स चार्जेज दे सकते हैं। ये गरीब लोग हैं, प्लेटफार्म पर आते हैं।आ ज्यादा से ज्यादा प्लेटफार्म पर पानी पी लेते हैं। आप जो भी योजना बनाएं, 95 फीसदी लोगों के लिए बनाएं।”