@विनोद भगत
इन दिनों राजधानी के सियासी गलियारों में खासी हलचल दिख रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के ताजा बयान के मद्देनजर बहुत से विधायकों को अपना टिकट खतरे में नज़र आने लगा है। यही वजह है कि तेजी से बदलते राजनीतिक माहौल में भाजपा के विधायकों की बेचैनी भी सामने आने लगी है। केबिनेट मंत्रियों की आवाजाही के बीच राजधानी के विधायक निवास में बैठकों का दौर चालू है।
इस बीच मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के तीन दिनों के सेल्फ क्वारंटाइन के बीच पार्टी के भीतर काफी आत्ममंथन भी हुआ बताया जा रहा है। आलम ये है कि विधायक निवास में खुलकर भाजपा के विधायकों की बैठकें जारी हैं। सूत्रों की मानें तो इन बैठकों के पीछे दो दिग्गज भाजपा नेताओं की सरपरस्ती बताई जा रही है। एक दिग्गज तो पूर्व मुख्यमंत्री हैं जबकि दूसरा कांग्रेस से भाजपा में आया है।
सूत्रों के अनुसार जहां एक ओर विधायक मुख्यमंत्री की बेरुखी से परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर बेलगाम अफसरशाही के अड़ियल रुख से भी आहत हैं।पुख्ता जानकारी के मुताबिक विधायकों की इन बैठकों में भी मुख्यमंत्री और अफसरों की विधायकों को ‘इग्नोर’ करने पर भी चर्चा हुई।
उधर, मुख्यमंत्री रावत ने भी विधायकों की टोह लेने के लिए अपने नजदीकी कुमाऊं के एक विधायक को जानकारी के लिए भी भेजा। फिलहाल, पिछले दो दिन से चल रही इन बैठकों में शामिल होने वाले विधायकों की संख्या लगातार बढती जा रही है। वैसे अभी तक हुई इन बैठकों में गढ़वाल के वरिष्ठ भाजपा विधायकों की हाजिरी ही ज्यादा है। जबकि बैठक कुमाऊं के वरिष्ठ भाजपा विधायक के नेतृत्व में चल रही है।
गढ़वाल के एक प्रमुख भाजपा विधायक व केबिनेट मंत्री का भी इन विधायकों को समर्थन बताया जा रहा है। इतना ही नहीं ये मंत्री स्वयं भी विधायकों को आश्वस्त करने के लिए इस बैठक में शामिल हुए थे।