@शब्द दूत ब्यूरो
मुनस्यारी । समय पर पुल निर्माण न होने से एक फौजी को अपनी जान गंवानी पड़ी। जबकि दूसरा भाई गंभीर अवस्था में है। 20 सालों के उत्तराखंड की यह भयावह और दर्दनाक विकास का प्रमाण है। सरकारें अपनी पीठ थपथपाने में व्यस्त हैं। एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप में व्यस्त हैं। आपदा हर साल आती है। ये हर सरकार को पता है। लेकिन आपदा का इंतजार सरकारें और राजनेता एक दूसरे को घेरने के लिए करती है। आमजन चाहे आपदा में जान गंवाती रहे। हां, मुआवजा देने के लिए सरकारें अपनी तारीफ करती हैं।
बीते रोज मुनस्यारी जौलजीबी मार्ग पर उफनते जौलगाड़ नाले में दो भाई बह गये। चल्थी गांव के निवासी आईटीबीपी में तैनात 37 वर्षीय कैलाश जोशी और उनके छोटे भाई अनिल जोशी (33 वर्षीय) प्रातः आठ बजे पिथौरागढ के लिए बाइक से निकले। रास्ते में उफनाये जौलगाड़ नाले को पार करते हुए उनकी बाइक बह गयी। मौके पर एसडीआरएफ ने पहुंच कर लोगों की मदद से उन्हें निकाला लेकिन तब तक आईटीबीपी जवान कैलाश जोशी की मौत हो चुकी थी और अनिल की हालत गंभीर बनी हुई है। जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
यहाँ बता दें कि बीआरओ काफी लंबे समय से इस नाले में पुल निर्माण करा रही है। और यह पुल निर्माणाधीन ही है। लोगों का कहना है कि जौलगाड़ नाले में अगर पुल होता तो एक फौजी की जान बच सकती थी।
यह उत्तराखंड के विकास की दर्दनाक कहानी है जहाँ दावों के साथ सरकारें बनती बिगड़ती हैं। हालांकि जनता सिर्फ सरकार बनाने के लिए है। फौजी की मौत एक खबर मात्र नहीं है। ये घटना दर्दनाक हकीकत से रुबरु कराती है। ऐसी तमाम घटनाओं के बावजूद राज्य के नेतागण गर्व से अपनी अपनी सरकार के कार्यकाल का बखान करते हैं। केदारनाथ आपदा को लेकर भी पीठ ठोकी जाती है पर सबक लेने को कोई तैयार नहीं।