रामनगर (नैनीताल)। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) में बाघों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। बाघों की मौजूदगी बढ़ने से उनके लिए क्षेत्रफल भी कम हो रहा है। इसे देखते हुए सीटीआर प्रशासन ने बाघिन और उसके शावकों वाले क्षेत्रों को चिन्हित करना शुरू दिया है, ताकि बाघिन बिना बाधा के अपने शावकों को पाल-पोसकर जंगल की चुनौतियों से लड़ना सिखा सकें।
गौरतलब है कि बीते दिनों नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) ने देशभर में बाघों की संख्या का आंकड़ा जारी किया था। एनटीसीए ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 231 बाघ दर्शाए हैं, इनमें एक-दो वर्ष के बाघों के शावकों को नहीं गिना गया है।
हालांकि कॉर्बेट में बाघों की संख्या 250 के पार है। घनत्व के मामले में कॉर्बेट पार्क दुनिया का पहला ऐसा पार्क है, जहां इतने बाघ विचरण करते हैं। ऐसे में पार्क प्रशासन ने शावकों वाले क्षेत्रों को चिन्हित करना शुरू कर दिया है। उन क्षेत्रों को पार्क प्रशासन पर्यटन सीजन में जंगल सफारी के लिए बंद करेगा।
क्षेत्रफल के हिसाब से कॉर्बेट नेशनल पार्क का एक बाघ साढ़े चार स्क्वायर किलोमीटर के एरिया में रहता है। जिस प्रकार कॉर्बेट में बाघों की संख्या बढ़ रही है, उससे इनका क्षेत्रफल कम हो रहा है।
इधर, कुछ दिनों से बाघों में जगह को लेकर आपसी संघर्ष की घटनाएं भी लगातार बढ़ी हैं। कॉर्बेट नेशनल पार्क 1288.32 स्क्वायर किलोमीटर में फैला हुआ है। बता दें कि बाघों की सुरक्षा को लेकर कार्बेट पार्क को इस साल समय से पहले ही केंद्र से बजट मिल गया है।
फिलहाल, बाघों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए यह निर्णय लिया जा रहा है। बाघिन और उसके शावकों वाले क्षेत्रों को चिन्हित करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। फिर इन इलाकों में जंगल सफारी की व्यवस्था बंद की जाएगी।