देहरादून। उत्तराखण्ड सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी अधिसूचित कर दिया है। उक्रांद नेता काशी सिंह ऐरी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि हम इसका प्रतिकार करते हैं। तेरह जिलों के एक छोटे राज्य, जिसके पास आज इतने भी संसाधन नहीं है कि वह समय पर अपने कर्मचारियों को वेतन दे पाये। उस पर दो-दो राजधानियां थोप दी जा रही हैं।
श्री ऐरी ने राज्य सरकार के इस फैसले को उत्तराखण्ड के शहीदों और आन्दोलनकारियों का अपमान बताया है। उन्होंने कहा कि यह उत्तराखण्ड की जनता का शोषण है। भाजपा की तत्कालीन केन्द्र सरकार ने राजधानी के मुद्दे उत्तराखण्ड की जनता ने उस समय भी छल किया था, उत्तराखण्ड राज्य के विधेयक में राजधानी का क्लाज जानबूझकर डाला ही नहीं गया था, दूसरा छल आज की प्रदेश सरकार कर रही है।
ऐरी ने कहा कि उत्तराखण्ड की प्रस्तावित राजधानी निर्विवाद रुप से गैरसैंण थी। पहले तो इसे धोखे से देहरादून में अस्थाई बना दिया गया। फिर तत्कालीन भाजपा की अनन्तिम सरकार ने उसे एक आयोग को सौंप दिया। आयोग को उसके बाद आई कांग्रेस की सरकार भी पोसती रही फिर उसकी रिपोर्ट भी भाजपा की ही सरकार के समय में विधान सभा में रखी गई। जिस पर आज तक सदन में बहस नहीं कराई गई है। आज फिर से ग्रीष्मकालीन राजधानी का झुनझुना पकड़ाया जा रहा है।
उक्रांद नेता ने कहा कि यह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उत्तराखण्ड क्रान्ति दल इसका पुरजोर विरोध करता है और जनता के साथ मिलकर हम फिर से आन्दोलन करेंगे और उत्तराखण्ड की जनता की भावना के अनुरुप गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाकर ही दम लेंगे।