हल्द्वानी । आज से लॉकडाउन में जहाँ पूरे देश में शराब की दुकानें खोली गई हैं। वहीं एक 7 वर्षीय बालक ने एक लघु गीत नाटिका के माध्यम से शराब के कुप्रभाव को झेल रही घरेलू महिलाओं के दर्द और पीड़ा को हास्य के रूप में प्रदर्शित किया है।
घर और खेतों में काम कर रही महिलायें अपने परिवार के पुरुषों की शराब पीने की आदत के चलते किन हालात में गुजर रही है? इस लघु गीत नाटिका में महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने वाला पात्र देवांश पपनै महज सात साल का है जबकि शराबी पुरूष का अभिनय 13 वर्षीय आयुष उप्रेती है। दोनों ही पात्रों ने सहज अभिनय कर एक संदेश देने का प्रयास किया है।
गीत के लेखक श्री आनंदबल्लभ पपनै हैं। जो कि 80 वर्ष की अवस्था में भी अपने लेखन के माध्यम से सामाजिक विसंगतियों पर कटाक्ष करते रहते हैं। यहाँ बता दें कि लघु नाटिका में अभिनय करने वाले देवांश पपनै और आयुष उप्रेती उनके पोते और धेवते हैं। इस गीत नाटिका में उनके पुत्र कुंवर पपनै और पुत्र वधू अनु पपनै ने गायन और संपादन किया है। उत्तराखंड का पपनै परिवार कलात्मक और रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से राज्य में अपनी अलग पहचान बनाए हुये है।