काशीपुर । उत्तर भारत के सुप्रसिद्ध चैती मेले में लगने वाला नखासा बाजार देश के प्रमुख नखासा बजारों में से है। एक आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि चैती मेले के नखासा बाजार का डकैत सालभर तक इंतजार करते थे। मेले से डकैत अपने मनपसंद घोड़े खरीदते थे। सुल्ताना डाकू जैसा खूंखार डकैत भी यहां खुले आम घोड़ों की खरीदारी करता था।
घोड़ा व्यापारियों के अनुसार इस मेले से सुल्ताना डाकू, डाकू मान सिंह के अलावा फूलन देवी भी घोड़े खरीद कर ले जाती थीं। बताया जाता है कि चैती मेला में नखासा मेला करीब चार सौ साल पहले रामपुर निवासी घोड़ों के बड़े व्यापारी हुसैन बख्श ने शुरू किया था। और जब चैती मेला में नखासा मेला लगना शुरू हुआ। तब घोड़ों का कारोबार था। सबसे बड़े खरीददार सेना, पुलिस अधिकारी, राजा महाराजा और व्यापारी थे।
बता दें कि इस बार चैती मेला 25 मार्च से शुरू हो रहा है। खास बात यह है कि दुनिया भर में चल रहे कोरोना वायरस के खतरे के चलते इस बार चैती मेले में श्रद्धालुओं की संख्या पर असर पड़ सकता है।
घोड़ों के व्यापारियों के मुताबिक भारत की आजादी से पहले यहां काबुल, पेशावर, गुजरात से महंगे घोड़े आते थे। इन डकैतों के बीच काबुल के घोड़े खासा पसंद किए जाते थे। यह घोड़े सिर्फ चैती के नखासा बाजार में ही उपलब्ध होते थे। वक्त के साथ घोड़ों का चलन कम होने लगा। 10 साल पहले तक यहां के नखासा बाजार में गुजरात के मालवा के घोड़े भी आते थे। लेकिन धीरे धीरे अब यह बाजार सिमटने लगा है और घोड़ों की संख्या भी कम होने लगी है। आधुनिकीकरण के साथ यातायात के साधन बदले तो घोड़ों से लोगों की दिलचस्पी कम हो गई।
अब नखासा बाजार से चंद लोग ही घोड़ों की खरीदारी करते हैं वो भी महज शौकिया तौर पर। यहां मां भगवती बाल सुंदरी देवी के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। चैती मेला लगभग पंद्रह दिनों तक चलता है। जिसमें मशहूर नखासा बाजार का आयोजन भी किया जाता है। जिसमें घोड़ों की खरीद-फरोख्त के लिए दूर दराज से लोग पहुंचते हैं। बता दें कि उत्तर भारत के मुक्सर, जगराम, पंजाब के नाबा मोड मंडी, उत्तर प्रदेश में बाराबंकी के देवाशरीफ, कानपुर के मकनपुर, एटा के सोरो सहित कई स्थानों पर नखासा बाजार लगते हैँ। लेकिन चैती का नखासा बाजार अच्छी नस्ल के घोड़ों की खरीद-फरोख्त के लिए जाना जाता है।