@शब्द दूत ब्यूरो (14 मार्च, 2024)
आदिवासी मूलवासी संगठन झारखंड के बैनर तले पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी, आदिवासियों की जमीन की लूट और आदिवासियों को षड्यंत्र के तहत फसाया जाने का आरोप लगाते हुए, केंद्र सरकार के खिलाफ आक्रोश मार्च निकाला गया। विरोध आक्रोश मार्च रांची के कोकर स्थित बिरसा मुंडा समाधि स्थल से राजभवन तक निकाला गया। इस दरमियान सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समाज के लोग हाथों में हरवे हथियार के साथ केंद्र सरकार का विरोध करते हुए दिखे।
आक्रोश मार्च में शामिल केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार के इशारे पर ईडी ने एक आदिवासी नेता हेमंत सोरेन को झूठे मामले में फंसा कर जेल भेजा है। उन पर सिर्फ इसलिए कार्रवाई हुई है, क्योंकि उन्होंने भाजपा के नेताओं के सामने झुकने से इनकार कर दिया था और राज्य के हक की बात कर रहे थे। जब उन्होंने केंद्र से अपना बकाया 1 लाख छत्तीस हजार करोड़ रुपए मांगा तब झूठे मामले में उन्हें फंसा दिया गया है। ऐसे में राज्य का आदिवासी समाज का मानना है कि आदिवासी युवा नेता हेमंत सोरेन के साथ अन्याय हुआ है। इसलिए हम लोगों ने आक्रोश मार्च निकाला है।
अजय तिर्की ने कहा कि यह केंद्र की सरकार और भाजपा के लिए एक चेतावनी भी है। राजभवन के पास धारा 144 लागू रहने के बावजूद न्याय आक्रोश मार्च निकालने के सवाल पर अजय तिर्की ने कहा कि धारा 144 लगे या कोई और धारा, हम आदिवासी डरने वाले नहीं हैं। वहीं, राजभवन के पास पुलिस में आक्रोश मार्च को आगे बढ़ने से रोक दिया। इसके बाद वहीं पर आक्रोश मार्च सभा में तब्दील हो गया जहां वक्ताओं ने भाजपा और केंद्र की सरकार को आदिवासी विरोधी बताया।