भारत में कोरोना वायरस की महामारी का एक साल पूरा 30 जनवरी को पूरा हो गया। कोरोना ने वर्ष 2020 के अगस्त-सितंबर महीने में सबसे ज्यादा सितम ढाया, लेकिन फिलहाल कोरोना की वैक्सीन आने के बीच संक्रमण का ग्राफ सात माह के सबसे निचले स्तर पर है।
30 जनवरी 2020 को ही भारत में कोरोना वायरस का पहला मामला केरल से दर्ज हुआ था। फरवरी 2020 में वुहान से लौटे कुछ छात्र पॉजिटिव पाए गए, लेकिन संक्रमण दोहरे अंक तक नहीं पहुंचा। 4 मार्च को पहली बार 22 केस भारत में मिले, जिनमें 14 वे इतालवी पर्यटकों के समूह में शामिल संक्रमित थे। 12 मार्च को पहली बार देश में कोरोना से पहली मौत दर्ज की गई।
इटली और जर्मनी से लौटे एक धर्मगुरु के पंजाब के आनंदपुर साहिब में 10 से 12 मार्च के बीच घूमना भारत में पहला बड़ा मामला साबित हुआ। यहां 27 केस मिले और 20 गांवों के 40 हजार लोगों को क्वारंटाइन कर दिया गया। मार्च मध्य में ही दिल्ली में तबलीगी जमात का कार्यक्रम सबसे बड़ा संक्रमण फैलाने वाला रहा। यूपी, बिहार, बंगाल जैसे राज्यों में संक्रमण तेजी से बढ़ा।
स्थिति गंभीर होती देख देश में 25 मार्च से लॉकडाउन का ऐलान हो गया। 31 मार्च तक 47 मौतों और 1403 लोग संक्रमित हो चुके थे। पर सरकार मान रही थी कि 21 दिन का लॉकडाउन आगे नहीं बढ़ेगा, लेकिन कोरोना विस्फोट का अंदाजा उसे भी नहीं था।
सरकार ने माना कि तबलीगी जमात के जरिये देश में सीधे 4129 केस मिले हैं। मार्च के मुकाबले अप्रैल में मरीजों की तादाद 23 गुना बढ़ गई। 14 अप्रैल को पहली बार देश में एक हजार से ज्यादा यानी 1463 कोरोना के मरीज मिले, जो 30 अप्रैल आते-आते 1901 तक पहुंच गए। अप्रैल अंत तक कुल मौतें बढ़कर 1075 तक पहुंच गईं।
लॉकडाउन के बावजूद मई में कोरोना बढ़ता चला गया। रोज औसतन 6-7 हजार मरीज मिलने लगे। 5 मई को पहली बार सौ से ज्यादा यानी 194 मरीजों की मौत हुई। कोरोना के पहले मामले के 110 दिन बाद 19 मई को मरीजों की संख्या एक लाख पार कर गई। 31 मई को माह के सर्वाधिक 8380 मामले मिले। 31 मई को देश में लॉकडाउन खत्म कर अनलॉक 1.0 का ऐलान हुआ।
आर्थिक गतिविधियां शुरू होते ही मामलों में तेज इजाफे का अंदेशा था और हुआ भी वही। एक जून को जहां एक दिन में 8392 केस मिले थे, जो 30 जून को 18,522 तक पहुंच गए। मौतों की संख्या भी 01 जून को 230 से 30 जून को रोजाना 418 तक पहुंच गई। अनलॉक में मॉल, रेस्तरां और धार्मिक स्थलों को खोलने की घोषणा हुई।
बरसात में संक्रमण बढ़ने के अंदेशे के साथ 17 जुलाई को देश में कुल मामले 10 लाख पार कर गए। इनमें महाराष्ट्र में 2.75 लाख और दिल्ली के 11.6 लाख केस शामिल थे। जुलाई के पहले दिन 18,653 नए केस के साथ 30 जुलाई को यह करीब 3 गुना बढ़कर 52,123 तक पहुंच गए। 23 जुलाई को पहली बार देश में 1129 मौतें कोरोना से सामने आईं।
अगस्त में भारत में कोरोना के 19 लाख 87 हजार 705 केस मिले और 28,859 मौतें हुईं। मौतों का यह आंकड़ा पिछले माह से दोगुना था। अगस्त के पहले दिन 54,735 केस और 31 अगस्त को 78,761 केस दर्ज हुए। अगस्त में रोज औसतन 800-900 मौतें दर्ज हुईं।
सितंबर सबसे ज्यादा सितम ढाने वाला रहा और कोरोना के मामले रोजाना 70 हजार से करीब एक लाख तक पहुंच गए। 17 सितंबर को रिकॉर्ड 97,984 केस सामने आए। मौतों की तादाद भी करीब एक लाख (97,497) तक पहुंच गई। 16 सितंबर को सर्वाधिक 1290 मौतें दर्ज की गईं। अक्टूबर में कुल 33,515 मौतें हुईं।
अक्तूबर में त्योहारी मौसम के बीच 03 अक्तूबर को भारत में कुल मौतें एक लाख के पार हो गईं। लेकिन 01 अक्टूबर को 1181 मौतों के बाद 31 अक्टूबर यह 551 रह गईं। नए केस भी 85-86 हजार रोजाना से 31 अक्टूबर को 48 हजार के करीब रह गए। पूरे माह मौतें घटकर 24 हजार के करीब रहीं।
तीन महीनों तक लगातार करीब 20 लाख मामलों के बाद नवंबर में थोड़ी राहत दिखी। रोजाना औसतन मामले 45 से घटकर 38 हजार पर आ गए। मौतें भी रोजाना 400-450 तक आ गईं।
कोरोना के घटते ग्राफ के बीच 18 दिसंबर को भारत में कुल केस एक करोड़ के पार हो गए। चौंकाने वाली बात सामने आई कि देश के महज 47 जिलों में ही करीब 50 फीसदी केस थे। कुल मौतों में करीब 50 फीसदी 24 जिलों में पाई गईं।
कोरोना के केस जून-जुलाई के स्तर तक गिरने के साथ भारत में कोरोना की वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी दी गई। 16 जनवरी से देश में टीकाकरण शुरू हुआ। आज भारत में दुनिया के 10.46 फीसदी केस हैं, जो एक वक्त 15 फीसदी से ज्यादा हो गए थे।