🔊 Listen to this
विनोद भगत
उत्तर प्रदेश में रेप पीड़िता के रिश्तेदारों की हत्या करवा दी जाती है। आरोपी जेल के अंदर बंद है लेकिन पीड़िता के परिजनों को फोन पर धमकी दी जाती है कि जिंदा रहना है तो समझौता कर लो। आरोपी सत्तारूढ़ भाजपा का सम्मानित विधायक आज तक है। यदि कोई सरकारी कर्मचारी एक निश्चित अवधि तक जेल में रहता है तो निलंबित हो जाता है। यहां भाजपा के मामले में में कोई नियम लागू नहीं होता।
स्वच्छता और ईमानदारी की मिसाल का दावा करने वाली भाजपा पर उन्नाव रेपकांड और उसके बाद की घटनाएं एक काला धब्बा बनता जा रहा है। विधायक को मिल रही शह के चलते यह धब्बा बड़े आकार की ओर बढ़ रहा है। ये उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए आने वाले समय एक ऐसी घटना में गिनी जायेगी जो शर्मनाक उदाहरण के तौर पर याद की जायेगी। पूर्ववर्ती सरकारों पर आरोप लगाते हुए भाजपा भूल रही है कि खुद इस प्रकरण से उसकी छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। उधर अपुष्ट सूत्रों के अनुसार दुर्घटना में घायल रेप पीड़िता की मौत की खबर सामने आ रही है। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। और यह खबर अगर गलत हो तो ही अच्छा है। यहां पर एक के बाद एक मौतें रेप पीड़िता से संबंधित लोगों की होती जा रही है। और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ इस मामले में में आरोपी को बचा रहे हैं। ऐसा दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल का कहना है। स्वाति मालीवाल कल पीड़िता को देखने आयी थीं। आज पुनः जब स्वाति मालीवाल लखनऊ के ट्रामा सेंटर पहुंचीं तो बेहद नाजुक हालत में पीड़िता को देखकर रो पड़ी। उन्होंने आरोप लगाया कि पीड़िता को एयरलिफ्ट कर बेहतर इलाज के लिए दिल्ली क्यों नहीं ले जाया गया। वहीं इस मामले में पुलिस पर सवाल उठाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि पीड़िता की सुरक्षा में लगा सुरक्षा कर्मी ही परिवार की हर जानकारी आरोपित पहुंचा रहा है। यहां यह याद दिला दें कि आजम खां ने एक आपत्तिजनक बात कह दी तो पूरे देश में बवाल मच गया। ठीक इसके विपरीत एक रेप पीड़िता की हत्या का प्रयास होता है तो किसी का खून नहीं खौलता कोई पुतले नहीं फूंकता। यह बिडम्बना है। आजम खां का बयान वास्तव में निंदा के योग्य था। लेकिन रेप करके हत्या का प्रयास करना मामूली घटना नहीं है। भाजपा को याद रखना चाहिए कि देश में लंबे समय तक राजनीतिक संघर्ष करने के बाद उसे प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने का मौका मिला है। पर बनाने में सदियां लग सकती हैं और बिगड़ने में क्षण भर लगता है। यहां पर महिला की अस्मिता मान सम्मान सब ताक पर रख दिये गये हैं, क्यों?इस प्रश्न का जब तक उत्तर नहीं मिलेगा। महिला सम्मान की बात करना बेमानी होगा।
विज्ञापन