नई दिल्ली। कोरोना का असर 2025 तक भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ता रहेगा और दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारतीय अर्थव्यवस्था को इस महामारी के प्रकोप की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान भी होगा। अंतर्राष्ट्रीय संस्था ऑक्सफ़ोर्ड इकोनॉमिक्स ने आपने ताज़ा ग्लोबल रिपोर्ट में ये आंकलन रखा है कि 2025 तक भारत की पर-कैपिटा जीडीपी कोविड से पहले के मुकाबले 12% तक नीची रहेगी।
दुनिया की अर्थव्यवस्था पर नज़र रखने वाली संस्था ऑक्सफ़ोर्ड इकोनॉमिक्स ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है की 2020 से 2025 के बीच आर्थिक विकास दर कोविड महामारी से पहले अनुमानित 6.5% से गिर सिर्फ 4.5% रहने का पूर्वानुमान है।
ओक्सफोर्स इकोनॉमिक्स की अर्थशास्त्री प्रियंका किशोर के अनुसार, “प्राइवेट डिमांड में सुधार को बनाये रखने के लिए जरूरी और विस्तृत फिस्कल रिस्पांस न होने की वजह से हमने पाया है कि इस महामारी ने भारत को कोविड से पहले की स्थिति के मुकाबले और ख़राब स्थिति में धकेल दिया है। इसका सीधा असर ये होगा की दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। हमारा आंकलन है 2025 तक भी भारत की पर-कैपिटा जीडीपी कोविड से पहले के मुकाबले 12% तक नीची रहेगी।”
नीति आयोग के पूर्व अर्थशास्त्री टी हक़ ने कहा, “कोविड की वजह से हालात और ख़राब हो गए हैं। बेरोज़गारी उच्च स्तर पर है। जो राहत पैकेज दिया गया है वो सप्लाई साइड को ध्यान में रख कर दिया गया है। अभी ज्यादा जरूरत है डिमांड साइड पर ध्यान देने की जिससे लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा आए।”
उधर कमज़ोर पड़ती अर्थव्यवस्था को लेकर उठ रहे सवालों से विपक्ष को सरकार पर निशाना साधने का फिर मौका मिल गया है। कांग्रेस ने सरकार द्वारा केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते में होने वाली वृद्धि पर जून 30, 2021 तक रोक लगाने के फैसले का विरोध किया है। इसका असर 339 केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के 14.5 लाख से अधिक कर्मचारियों पर पड़ेगा।