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‘अश्वत्थामा’ बनेंगे शाहिद कपूर, जानिए कौन था महाभारत का ये रहस्यमयी योद्धा, जो आज भी है जिंदा!

@शब्द दूत ब्यूरो (22 मार्च 2024)

अश्वत्थामा, जिसे आशीर्वाद की वजह से नहीं बल्कि श्री कृष्ण के श्राप ने चिरंजीवी बनाया है. अश्वत्थामा का किरदार इन दिनों सुर्खियों में है. बॉलीवुड एक्टर शाहिद कपूर जल्द ही अश्वत्थामा पर आधारित एक साइंटिफिक फिल्म में नजर आएंगे. इस फिल्म का नाम है- ‘अश्वत्थामा: द सागा कंटीन्यूज़’. ऐसे में अब हर जगर अश्वत्थामा की कहानी को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. आइए जानते हैं कि आखिर अश्वत्थामा कौन है और इसकी कहानी क्या है? ऐसा कहा जाता है कि अश्वत्थामा महाभारत से जुड़ा एक ऐसा किरदार है जो आज भी जिंदा है. ऐसी मान्यता है कि अश्वत्थामा भगवान श्रीकृष्ण के श्राप के कारण आज भी जिंदा है और जंगलों में भटकता रहता है. दुनिया के खत्म होने तक उसे मोक्ष नहीं मिलेगा.

कौन था अश्वत्थामा?

शास्त्रों के अनुसार अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे. द्रोणाचार्य पांडवों और कौरवों के गुरु थे. द्रोणाचार्य अपने वचन निभाने के कारण महाभारत युद्ध में कौरवों की तरफ हुए थे और कौरवों की सेना के सेनापति भी बने थे. अश्वत्थामा भी कौरवों की तरफ से युद्ध में लड़े थे. महाभारत में अश्वत्थामा और दुर्योधन मित्र बने थे.

कौरवों-पांडवों का गुरुपुत्र था अश्वत्थामा

द्रोणपुत्र अश्वत्थामा को चिरंजीवी भी कहा जाता है. अश्वत्थामा, कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य और कृपि के पुत्र थे. द्रोणाचार्य ने ही कौरवों और पांडवों को शस्त्र विद्या का ज्ञान दिया था. हस्तिनापुर के प्रति अपना वचन निभाने के लिए गुरु द्रोणाचार्य ने कौरवों की तरफ से युद्ध लड़ने का फैसला लिया और कौरवों के सेनापति बने थे. अश्वत्थामा भी उन्हीं के साथ था और उसी दौरान वह दुर्योधन का अच्छा मित्र था.

कैसे हुआ अश्वत्थामा का जन्म?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा कहा गया है कि द्रोणाचार्य को संतान नहीं हो रही थी. हिमाचल की वादियों में तेपेश्वर महादेव स्वयंभू शिवलिंग की पूजा-अर्चना के बाद उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई थी. शास्त्रों में अश्वत्थामा भगवान शिव का अंश भी माना जाता है. अश्वत्थामा के जन्म से ही उनके सिर पर एक मणि थी, जिससे उसकी देव, दानव या जानवर से रक्षा होती थी. लेकिन एक बार प्राण के बदले द्रौपदी ने उसे सजा देने के लिए मणि छिन ली और उसके बाल काट दिए थे.

अश्वत्थामा को किसने मारा था?

अश्वत्थामा, महाभारत के महान योद्धाओं में से एक था और उन्होंने महाभारत युद्ध में कौरवों का साथ दिया था. एक बार महाभारत युद्ध में द्रोणाचार्य और अश्वत्थामा पांडवों की सेना पर भारी पड़ रहे थे. तब भगवान श्री कृष्ण ने छल से द्रोणाचार्य को पराजित कर दिया. श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से यह कहने का आदेश दिया कि सबसे कह दो अश्वत्थामा युद्ध में मर गया. ये सुनकर अश्वत्थामा के पिता द्रोणाचार्य शोक में डूब गए और उन्होंने अपने हथियार त्याग दिए. द्रोणाचार्य को बिना हथियार के देखकर द्रौपदी के भाई धृष्टद्युम्न ने उनका सिर धड़ से अलग कर दिया था. ऐसा कहा जाता है कि धृष्टद्युम्न का जन्म द्रोणाचार्य को मारने के उद्देश्य से ही हुआ था.

पिता की मौत से अश्वत्थामा बहुत क्रोधित हुआ और उसने पांडवों से बदला लेने का प्रण ले लिया लेकिन धीरे-धीरे सभी कौरवों की मौत हो गई. दुर्योधन की मौत के बाद महाभारत का युद्ध खत्म हो गया इसी वजह से अश्वत्थामा किसी पांडव को मार नहीं पाया.

क्या अश्वत्थामा अमर है?

महाभारत का युद्ध खत्म होने के बाद अश्वत्थामा ने पांडवों को मारने की योजना बनाई. वो पांडवों के शिविर में गया. वहां पर द्रौपदी के पांचों बेटे सो रहे थे. अश्वत्थामा ने उन्हें पांडव समझकर अंधेरे में उनकी हत्या कर दी. इस घटना के बाद सभी पांडव श्रीकृष्ण के साथ अश्वत्थामा को सजा देने के लिए गए. वहां पर अश्वत्थामा और पांडवों के बीच युद्ध हुआ.

भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को क्यों दिया श्राप?

अश्वत्थामा ने पांडवों को मारने के लिए ब्रम्हास्त्र निकाला, उसी समय अर्जुन ने भी अपना ब्रम्हास्त्र चला दिया. अगर दो ब्रम्हास्त्र एक दूसरे से ठकराते तो प्रलय आ सकता था. इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से ब्रम्हास्त्र वापस लेने के लिए कहा. अर्जुन ने ब्रम्हास्त्र वापस ले लिया, लेकिन अश्वत्थामा को ब्रम्हास्त्र वापस लेने का ज्ञान नहीं था. ऐसे में अश्वत्थामा ने अपना ब्रम्हास्त्र अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु की विधवा पत्नी की कोख पर चला दिया जिससे उसकी कोख में पल रहे बच्चे की जान चली गई. इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप दिया कि जब तक धरती पर जीवन रहेगा, तब तक वह जिंदा रहेगा और भटकता रहेगा.

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