@शब्द दूत ब्यूरो (20 मार्च, 2024)
पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की मां चरण कौर ने 58 साल की उम्र में बच्चे को जन्म दिया है. इसके लिए उन्होंने आईवीएफ तकनीक का सहारा लिया था. बच्चे के जन्म के बाद से ही इस मामले में विवाद शुरू हो गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पंजाब सरकार और मूसेवाला की मां से जवाब तलब किया है. आईवीएफ तकनीक का 58 साल की उम्र में इस्तेमाल करने को लेकर रिपोर्ट मांगी गई है. इस विवाद के बीच आपके लिए यह जानना जरूरी है कि भारत में आईवीएफ कराने की सही उम्र क्या है? क्या आईवीएफ कराने से पहले कोई रजिस्ट्रेशन होता है और क्या आईवीएफ सेंटर निसंतान कपल को इसके बारे में सभी जानकारी देते हैं या नहीं? आइए इस बारे में डिटेल में जानते हैं.
हर देश में आईवीएफ को लेकर अलग अलग कानून है. भारत में इसको लेकर कानून बनाए गए हैं. साल 2021 में आईवीएफ को लेकर नियमों में बदलाव हुआ था. इसको लेकर असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन एक्ट बनाया गया था. इसके मुताबिक, भारत में महिलाएं 50 साल की उम्र तक आईवीएफ से मां बन सकती है. पुरुषों में ये 55 साल है. हालांकि यह एक बड़ा सवाल है कि क्या सभी प्राइवेट आईवीएफ सेंटरों में सरकार के नियमों का पालन किया जाता है या नहीं? इस सवाल का जवाब जानने से पहले ये जानते हैं कि क्या आईवीएफ के लिए निसंतान कपल को किसी सरकारी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है?
क्या आईवीएफ के लिए कराना पड़ता है रजिस्ट्रेशन
आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ नुपूर गुप्ता से बातचीत में बताती हैं कि आईवीएफ कराने से पहले किसी तरह का कोई रजिस्ट्रेशन सरकारी पोर्टल पर नहीं करना पड़ता है. अगर कोई कपल इनफर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहा है तो वह आईवीएफ का सहारा ले सकता है. लेकिन आईवीएफ कराने से पहले कई तरह की जानकारी कपल को दी जाती है. इसके लिए फॉर्म भी भरवाए जाते हैं.
गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सलोनी चड्ढा बताती हैं कि जब भी कोई कपल आईवीएफ के लिए आता है तो उनसे कंसेंट फॉर्म साइन कराए जाता है. इस फॉर्म में लिखा होता है कि कपल अपनी मर्जी से आईवीएफ करा रहा है. महिला के शरीर में किसी तरह की कोई खतरनाक बीमारी तो नहीं है और कपल की उम्र असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन एक्ट 2021 के कानून के मुताबिक है या नहीं, अगर कपल इसमें से किसी भी पैरामीटर पर खरा नहीं उतरता है तो आईवीएफ नहीं कराया जाता है.
50 के बाद आईवीएफ का क्यों नहीं है नियम
डॉ सलोनी बताती हैं कि 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को आईवीएफ न कराने का नियम है. यह नियम बनाने का एक बड़ा कारण यह है कि 50 साल की उम्र के बाद अधिकतर महिलाओं में मेनोपॉज हो जाता है. ऐसे में बच्चे पैदा करने के लिए अंड़े लगभग खत्म हो जाते हैं. ऐसे में किसी दूसरी महिला का एग लिया जाता है. कई मामलों में संतान किसी दूसरे महिला के एग की ही होती है.
50 साल की उम्र के बाद महिलाओं को कई तरह की बीमारियां होने का भी रिस्क रहता है. इस दौरान महिलाओं में डायबिटीज और बीपी की समस्या भी हो जाती है. ऐसे में आईवीएफ कराने के कई साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. जो महिला की जान को जोखिम में डाल सकते हैं.
क्या नियमों का पालन करते हैं आईवीएफ सेंटर?
दिल्ली एक डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि भारत में आईवीएफ सेंटरों के लिए कोई कानून नहीं है. कई मामलों में तो 50 साल से अधिक उम्र की महिला का भी आईवीएफ कर दिया जाता है. कई आईवीएफ सेंटर्स की वेबसाइट पर यह लिखा होता है कि आईवीएफ से बच्चा पैदा होने की 100 फीसदी गारंटी है. जबकि ऐसा नहीं होता है.
आईवीएफ से बच्चा होने की सफलता दर 30 से 40 फीसदी ही है. लेकिन इन्फर्टिलिटी के सबसे ज्यादा मामले भारत में भी है तो इस वजह से यहां आईवीएफ कराने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. दूसरी तरफ, आईवीएफ रजिस्ट्रेशन का कोई नियम नहीं है तो इसको कराने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. लेकिन 50 साल की उम्र के बाद आईवीएफ कराना कानूनी तौर पर गलत है. अगर कोई कपल ऐसा करता है तो इसको कानून के खिलाफ माना जाता है.
क्या हैं सरकारी नियम
आईसीएमआर ने अपने एआरटी-बिल 2021 में आईवीएफ को लेकर नियम तय किए हैं. इसमें बताया गया है कि 21 से 50 वर्ष तक की निसंतान महिलाएं इस तकनीक का सहारा ले सकती हैं. हर आईवीएफ सेंटर को निसंतान महिला को पूरे ब्योरा भरना होता है. इसमें उम्र की सही जानकारी क के साथ डिस्चार्ज पेपर जारी करने तक का सभी काम लीगल होना चाहिए. नियम में यह भी कहा गया है कि कोई महिला अपनी जीवन में कितनी बार आईवीएफ का सहारा ले सकती है. इसकी भी जानकारी देनी चाहिए.
कैसे होता है आईवीएफ
डॉ. सलोनी बताती है कि आईवीएफ के लिए महिला और पुरुष दोनों के ही कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं. टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद आगे का प्रोसीजर शुरू किया जाता है. इसके लिए सबसे पहले पुरुष के सीमने को लैब में टेस्ट के लिए लाया जाता है और इनमें से खराब शुक्राणुओं को अलग कर दिया जाता है. इसके बाद महिला के शरीर से अंड़ों को इंजेक्शन के जरिए बाहर निकाला जाता है और उनको फ्रीज करके रखा जाता है. इन अंड़ों के साथ अच्छे सीमेन को लैब में विशेष तरीके से फर्टिलाइट किया जाता है.
इस फर्टिलाइजेशन से जो भ्रूण तैयार होता है उसको कैथिटर की मदद से महिला के गर्भाश्य में ट्रांसपर कर दिया जाता है. इसके कुछ सप्ताह बाद महिलाओ को टेस्ट के लिए बुलाया जाता है. देखा जाता है कि गर्भ में भ्रूण कैसे तैयार हो रहा है. इसकी अच्छी ग्रोथ के लिए महिलाओं को प्रेगनेंसी के टिप्स बताए जाते हैं.
क्या कहते हैं एडवोकेट
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट सतिंदर कौर का कहना है कि भारत सरकार के Assisted Reproductive Technology (Regulation) Act 2021 के Section 21 (g) एक्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय का जो नोटिस आया है, उसमें 21g की violation हुई है . क्यों की चरण कौर की उम्र 58 साल है. एक्ट के मुताबिक, आईवीएफ का नियम 50 साल तक का है, हालांकि यह सिर्फ एक नोटिस है जो परिवार को आया है, इसमें अभी तक कोई डॉक्यूमेंट नहीं है.
अभी तक यह सामने आया है की बच्चा कहा कंसीव हुआ और कहां पैदा हुआ. एडवोकेट ने कहा अभी कोई कॉमेंट नहीं किया जा सकता है.लेकिन इस तरह का अपराध बेलेबल ऑफेंस है. अगर अपराध माना जाता है तो एक्ट में सजा का प्रावधान 5 से 10 लाख का जुर्माना हो सकता है. साबित होने पर 3 से 8 साल की सजा भी हो सकती है. लेकिन यह चैलेंज भी हो सकता है क्यों कि क्या पता उनके पास किसी भी देश की सिटीजनशिप हो.